रोहित रोहिला, चंडीगढ़ :
पंजाब के लोगों ने अब सूबे को आप के हवाले कर दिया है। लेकिन इस चुनाव में हारने वाले विपक्षी दल जहां अब एक और अब हार को लेकर मंथन करने में जुट गए है वहीं दूसरी और आप सूबे में अपनी सरकार बनाने का दावा पेश करने की तैयारी कर रही है। लेकिन यह बात सब जानना चाहते है कि आखिरकार कांग्रेस,शिअद और बीजेपी की हार की वजह क्या रही है कैसे आप को इतना प्रचंड बहुमत मिला। इस चुनाव में दिग्गज नेता हार गए। जिनके हारने की सूबे के लोगों तक को उम्मीद नहीं थी। इन नेताओं को भी अब विधानसभा पहुंचने से आप ने रोक दिया है।
सूबे में आप का प्रचंड बहुमत मिलने की एक सबसे बडी वजह यह रही कि इस बार सूबे के लोग बदलाव के मूड में आते हुए आप को एक मौका देने के मूड में थे। सूबे के लोगों ने शिअद और कांग्रेंस के राज को भी देखा है। लेकिन अब इन दलों से लोगों का यकीन उठ सा गया था। जिसकी वजह से इस बार सूबे के लोगों ने आप को मौका देने का मन बना लिया था।
इसके अलावा आप ने जमीनी स्तर पर पार्टी और अपने उम्मीदवारों को उतारने से पहले जमीनी हकीकत को जानने के लिए एक दो नहीं कई सर्वे भी करवाए थे। इतना ही नहीं इन सर्वे में बकायदा इन बातों को भी जाना गया था कि क्या सूबे के लोग कांग्रेंस और शिअद के नेताओं से नाराज है और कितने नाराज है। वहीं आप की ओर से सूबे के लोगों को सुशासन और जमीनी स्तर पर काम करके दिखाने का वायदा भी किया गया है। आप ने पंजाब को दिल्ली माडल दिखाया है।
शिअद की विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव में हार की मुख्य वजह यह रही कि सूबे के लोग बेअदबी मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से भी नाराज थे। इसके बाद कृषि कानूनों को लेकर भी किसान वर्ग में शिअद को लेकर नाराजगी दिखाई दी। बेशक शिअद में इस मुद्दे पर अपना स्टैंंड क्लीयर करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपना इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन खासतौर पर कुछ किसान इससे नाराज नजर आए थे।
इसके अलावा शिअद की हार की एक मुख्य वजह बीजेपी वोट बैंक के खिसकने की वजह भी बनी। बीजेपी से गठबंधन के वक्त बीजेपी का पूरा वोट बैंक शिअद को ट्रांसफर हो जाता था। लेकिन इस बार बीजेपी ने अपने उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में उतारे था। इसके अलावा नशा, माफिया एवं अन्य मुद्दों को लेकर भी लोगों ने कांग्रेंस, भाजपा और शिअद के खिलाफ मतदान किया। इसके अलावा पंथ का वोट बैंक भी खिसका है।
कांग्रेंस की हार की सबसे बडी वजह पार्टी की अंदरूनी कलह रही। लोगों की कांग्रेंस से नाराजगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सूबे के लोगों पार्टी के मंत्रियों और यहां तक की सीएम पद के उम्मीदवार को दोनों सीटों और कांग्रेंस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू तक को घर बिठा दिया। कांग्रेंस की ओर से वर्ष 2017 के चुनावों में जो चुनावी वायदे किए गए थे
उसे जमीनी स्तर पर पूरा नहीं किए जाने और माफिया राज का को खत्म करने पर भी नाकाम रहने पर लोगों ने अपना फतवा कांग्रेंस के खिलाफ दिया। इसके अलावा ईडी रेड मामले में चन्नी के रिश्तेदारों का नाम आने से भी पार्टी को चुनाव में नुकसान उठाना पडा। पार्टी की चन्नी के 111 दिन के कार्यकाल और दलित कार्ड को खेल कर चुनाव जीतना चाहती थी। लेकिन 111 दिनों के कार्यकाल के कई वायदे जमीनी स्तर पर खरे नहीं उतरे।
केंद्र द्वारा कृषि कानूनों को लेकर सूबे के किसान वर्ग के अलवा अन्य लोग भी बीजेपी से नाराज थे। बीजेपी का इन कृषि कानूनों को लेकर सूबे में ज मकर विरोध हुआ और बीजेपी नेताओं को चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान भी इन कृषि कानूनों को लेकर विरोध झेलना पडा। इसके अलावा पहले भी बीजेपी गंठबंधन में कुछ ही सीटों पर चुनाव लड़ती थी।
पहली बार बीजेपी शिअद गठबंधन के बिना चुनाव लडी है और बीजेपी का केवल कुछ ही सीटों पर एवं हिंदू वोट बैंक पर चुनाव लड़ती थी। इस बार पार्टी का यह वोट बैेंक भी खिसका है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लडा था। लेकनि यह पार्टी भीनई थी और पार्टी को उम्मीदों के मुताबिक वोट नहीं मिल सकें।
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