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India News ( इंडिया न्यूज), Dharamveer Sinha, Election 2024: बिहार की जनता की सेवा के लिए अपना समर्पण दिखाने वाले नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प है। इस वजह से राजनीतिक पंडितों में यह चर्चाएं भी होती हैं कि नीतीश का लार्जर प्लान क्या है? क्या कोई एग्जिट प्लान है? कोई प्रेशर पॉलिटिक्स है ? अबतक उनकी राजनीतिक यात्रा में अलग-अलग कई मोड़ आए। पूर्व में बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी, अब इंडिया गठबंधन के साथ हैं। राहुल गांधी ने जो नहीं किया वह नीतीश कुमार ने किया है।राहुल सिर्फ जनता को जोड़ने निकले थे, लेकिन मोदी के खिलाफ नीतीश और लालू प्रसाद ने पार्टियों को जोड़ा। इंडिया गठबंधन में नीतीश की भूमिका पर इन दिनों बिहार में सार्वजनिक चर्चा जारी है।
सवाल ये भी है कि क्या नीतीश के राजनीतिक सफर का कोई और मोड़ है ? लोग इन सवालों के जवाब खोज रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए नीतीश ने 28 पार्टियों को जोड़कर इंडिया गठबंधन तो बनाया। लेकिन, वे अपनी भूमिका को लेकर कितना संतुष्ट हैं, ये बताना मुश्किल है। इस बीच मोदी से जी-20 शिखर सम्मेलन में नीतीश की हुई मुलाकात के बाद सवाल भी उठने लगे कि अब बिहार की सियासत बदलने वाली है। नीतीश कुमार कांग्रेस की परवाह किए बगैर जी-20 सम्मेलन में राष्ट्रपति की ओर से आयोजित डिनर में शामिल हुए। बिहार में एनडीए से जदयू के अलग होने के बाद मोदी से नीतीश की यह पहली मुलाकात थी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलवाया।
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन इन दिनों ED के कई मामलों में उलझे हुए हैं। उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवारें भी लटक रही है। केंद्र ने अगले दिन बिहार को करीबन 3884 करोड रुपये की राशि देने की अनुशंसा की पहली किस्त 1942 करोड़ रुपये जारी भी कर दिया। आपको याद होगा कि तेजस्वी पर घोटाले के आरोप लगने पर ही नीतीश ने राजद का साथ छोड़ा था और अब चार्जशीट दायर हो चुका है। हाल के दिनों मे जदयू नेताओं के औपचारिक बयान में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। जिससे बिहार के राजनीतिक वातावरण में एक महत्वपूर्ण बदलाव आने की संभावना या आशंका दिख रही है।
बहरहाल, इंडिया गठबंधन में नीतीश की भूमिका और उन्हें मिल रहे महत्व को लेकर उनका असंतोष या संतुष्टि पर सियासी हलकों में तरह-तरह के कयास लग रहे हैं। इसी बीच बिहार में अमित शाह का दौरा भी चर्चा का विषय है। ऐसे में बिहार की राजनीति क्या कोई नई दिशा लेती है, इसे लेकर कार्यकर्ता चौकन्ना हैं तो राजनीतिक प्रेक्षक संकेत ढूंढ रहे हैं।
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