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बीमा क्षेत्र में 100% FDI मंजूरी, संसद में पारित हुआ बिल, जानें PREMIUM और CLAIM पर क्या होगा असर?

Insurance FDI Bill: इंश्योरेंस सेक्टर में 100% FDI की मंजूरी का मतलब है कि विदेशी कंपनियां अब भारत में पूरी तरह से स्वामित्व वाली इंश्योरेंस कंपनियां स्थापित कर सकती हैं और उनका पूरा निवेश (100%) रख सकती हैं. केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को बीमा नियमों में एक बड़ा बदलाव करते हुए 100 फीसदी फॉरेन डायरेक्‍ट इन्‍वेस्‍टमेंट (FDI) को मंजूरी दे दी है.
इससे विदेशी निवेशकों को भारतीय इंश्योरेंस मार्केट में स्वतंत्र रूप से कारोबार करने का अवसर मिलता है, जिससे तकनीकी और प्रबंधन के नए अनुभव, उत्पादों की विविधता और प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है. साथ ही, यह कदम इंश्योरेंस क्षेत्र में पूंजी प्रवाह बढ़ाने, बीमा कवरेज का विस्तार करने और उपभोक्ताओं के लिए बेहतर सेवाओं और उत्पाद विकल्प उपलब्ध कराने में मदद करता है.

सबका बीमा सबकी रक्षा विधेयक, 2025 क्या है?

सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025 एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कानून है जिसे संसद ने दिसंबर 2025 में पास किया है. जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के बीमा क्षेत्र को आधुनिक बनाना और व्यापक रूप से जनता को बीमा कवरेज प्रदान करना है. इस विधेयक के तहत बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को मौजूदा 74% से बढ़ाकर 100% कर दिया गया है.

साथ ही यह बीमा अधिनियम, 1938, LIC अधिनियम, 1956 और IRDAI अधिनियम, 1999 जैसे मुख्य क़ानूनों में संशोधन करता है, पॉलिसीधारकों के हित की रक्षा के लिए विशेष कोष की स्थापना और बीमा नियामक को अधिक शक्तियां देने जैसे प्रावधान भी शामिल हैं, जिससे बीमा कवरेज बढ़ाने और बीमा उद्योग को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी.

बीमा कानूनों में संशोधन से क्या फायदा होगा?

अधिक निवेश और तकनीक

100% FDI से विदेशी कंपनियां भारत में पूरी तरह निवेश कर सकती हैं, जिससे नई तकनीक, उत्पाद और प्रबंधन के अनुभव आएंगे.

बीमा कवरेज का विस्तार

अधिक कंपनियों और उत्पादों के आने से आम लोगों तक बीमा पहुंच बढ़ेगा, खासकर ग्रामीण और कम कवर वाले क्षेत्रों में.

प्रतिस्पर्धा और बेहतर सेवाएं

नए निवेश और कंपनियों की प्रतिस्पर्धा से पॉलिसीधारकों को बेहतर प्रीमियम, उत्पाद और ग्राहक सेवा मिल सकती है.

उद्योग का विकास

पूंजी और विशेषज्ञता के बढ़ने से बीमा सेक्टर मजबूत होगा, रोजगार बढ़ेंगे और वित्तीय समावेशन में मदद मिलेगी.

पॉलिसीधारक संरक्षण

विधेयक में विशेष कोष और नियामक शक्तियों का प्रावधान है, जिससे पॉलिसीधारकों के हित सुरक्षित रहेंगे.

Vipul Tiwary

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