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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
तमाम विवादों, अटकलों और कानूनी लड़ाई के बीच आखिरकार रिलायंस और फ्यूचर समूह की डील (Future Reliance Deal) रद्द हो गई है। मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान कर दिया है। इस डील के रद्द होने के साथ ही अब ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और फ्यूचर समूह के बीच कोर्ट में चल रही लड़ाई के भी खत्म होने की उम्मीद है।
Reliance Industries ने शनिवार को शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा कि फ्यूचर रिटेल के अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स और शेयरहोल्डर्स ने इस डील के पक्ष में मतदान दिया है लेकिन कंपनी के सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने इस डील के खिलाफ वोट दिए हैं। अत: इस डील को पूरा नहीं किया जा सकता है।
वहीं फ्यूचर रिटेल ने शुक्रवार को बताया था कि इस डील पर शेयरहोल्डर्स और क्रेडिटर्स की मंजूरी लेने की वोटिंग प्रक्रिया उसने पूरी कर ली है। सिक्योर्ड क्रेडिटर्स की कैटेगरी में इस डील के पक्ष में 30.71 प्रतिशत वोट पड़े जबकि 69.29 प्रतिशत ने इसका विरोध किया है।
शेयर होल्डर्स की कैटेगरी में डील के पक्ष में 85.94 प्रतिशत और विरोध में 14.06 प्रतिशत वोट पड़े। जबकि अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स में 78.22 प्रतिशत इसका पक्ष लिया तो 21.78 प्रतिशत इसके खिलाफ में रहे।
गौरतलब है कि Reliance ने देश के रिटेल सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अगस्त 2020 में Future Group के रिटेल बिजनेस को खरीदने की 24,713 करोड़ रुपये की डील की थी। इस डील के तहत खुदरा, थोक, लॉजिस्टिक एवं भंडारण खंडों में सक्रिय फ्यूचर समूह की 19 कंपनियों का रिलायंस रिटेल अधिग्रहण करने वाली थी।लेकिन इस मामले में ई-कॉमर्स कंपनी Amazon ने अड़ंगा लगाया। मामला सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत से लेकर प्रतिस्पर्धा आयोग और देश की सर्वोच्च अदालत तक गया लेकिन नतीजा कुछ न निकल सका।
हाल ही में रिलायंस ने कंपनी के Big Bazaar और अन्य स्टोर का लीज डॉक्यूमेंट गिरवी होने के नाम पर टेकओवर करना शुरू कर दिया। विवाद यहीं नहीं रुका। इससे जुड़े एक मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 28 फरवरी 2022 को फ्यूचर ग्रुप को एक आदेश दिया कि वह डील पर अपने शेयर होल्डर्स और क्रेडिटर्स की मंजूरी ले। इसके बाद समूह ने इसके लिए बैठक बुलाई, जिसे एमेजॉन ने ‘अवैध’ करार दिया।
बता दें कि फ्यूचर ग्रुप (Future Group) इस समय काफी कर्ज के बोझ तले दबा है। अत: ये डील उसके लिए काफी अहम मानी जा रही थी। इस डील पर शेयरधारकों और कर्जदाताओं की मंजूरी लेने के लिए Future Group की संबंधित कंपनियों ने हफ्ते की शुरूआत में अलग-अलग बैठकें बुलाई थीं। लेकिन इस बैठक में सुरक्षित कर्जदाताओं ने इसे नामंजूर कर दिया।
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