Income Tax Department
Income Tax Department: आयकर विभाग एक ऐसी सरकारी संस्था है जो देश के कर (Tax) कानूनों को लागू करने का काम करती है. दरअसल, यह सुनिश्चित करना है कि सभी नागरिक और संस्थाएं अपनी आय पर सही समय पर ही चुकाएं. लेकिन, कुछ वित्तीय गतिविधियां ज्यादातक ऐसे होते हैं जो विभाग का ध्यान अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित करते हैं और आपको उनके ‘रडार’ पर ला सकते हैं. नीचे पांच 5 प्रमुख कारण दिए गए हैं जिनकी वजह से कोई व्यक्ति आयकर विभाग की जांच के दायरे में आकर फंस जाता है.
आयकर विभाग अब सभी बड़े वित्तीय लेनदेनों पर अपनी तीखी नज़र रखता है, खासकर जब वे आपकी घोषित आय से मेल नहीं खाते. अगर आपकी सालाना आय कम है, लेकिन आपने बड़े लेन-देन किए हैं, तो आप तुरंत जांच के दायरे में भी आ सकते हैं.
एक वित्तीय वर्ष (Financial Year) में 30 लाख रुपये या फिर उससे ज्यादा की अचल संपत्ति (Immovable Property) की खरीद या बिक्री.
बचत खातों (Savings Account) में 10 लाख से रुपये से ज्यादा और चालू खातों (Current Account) में 50 लाख रुपये से ज्यादा की नकदी जमा होना आपके के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है.
10 लाख रुपये या उससे ज्यादा मूल्य के बॉन्ड, डिबेंचर और म्यूचुअल फंड की खरीद एक तरह से परेशानी का संकेत देती है.
एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख से रुपये से ज्यादा का क्रेडिट कार्ड बिल का नकद भुगतान.
विदेशी मुद्रा या फिर विदेशी खाते में बड़ी राशि जमा करना भी आपके लिए एक तरह से बड़ी परेशानी बन सकती है. अगर किसी भी तरह के लेन-देन आपकी आयकर रिटर्न (ITR) में घोषित आय से मेल नहीं खाते, तो विभाग आपको तुरंत ही नोटिस भेज सकता है.
अगर आपकी आय टैक्सेबल सीमा (Taxable Limit) से ऊपर है, या फिर आपके पास किसी भी तरह की विदेशी संपत्ति है, तो ITR फाइल करना कानूनी रूप से बेहद ही ज़रूरी है. तो वहीं, दूसरी तरफ अगर आप लगातार ITR फाइल नहीं करते हैं, जबकि आपके पास फॉर्म 26AS या AIS (Annual Information Statement) में बड़े लेन-देन दर्ज हैं, तो विभाग आपके खिलाफ सख्त जांच भी शुरू कर सकता है. इसके साथ ही समय पर रिटर्न दाखिल न करना या फिर गलत रिटर्न भरना भी रडार पर आने की एक सबसे बड़ी वजह है.
केंद्र सरकार डिजिटल लेन-देन को तेज़ी से बढ़ावा देने में जुटी हुई है. आयकर नियमों के तहत, नकद में बड़े लेन-देन की एक सीमा पूरी तरह से निर्धारित की गई है. जैसे उदाहरण के लिए, 2 लाख से ज्यादा की नकद लेन-देन, खासकर आभूषणों या फिर महंगी वस्तुओं की खरीद पर, विभाग की नज़र में सबसे ज्यादा रहती है. इसके अलावा बार-बार बड़ी नकद निकासी भी शक पैदा कर सकती है कि कहीं आप आय के स्रोत को तो नहीं छुपा रहे हैं.
आयकर विभाग आपके पिछले सालों के ITR डेटा का भी पूरी तरह से विश्लेषण करता है. अगर किसी भी साल में आपकी घोषित आय में अचानक और असामान्य रूप से बड़ी गिरावट देखने को मिलती है, जिसके लिए आपके पास कोई स्पष्ट वजह नहीं है तो विभाग इसका कारण जानने के लिए भी आपसे सख्ती से पूछताछ कर सकता है.
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) और टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की जानकारी आपके पैन (PAN) से ही जुड़ी होती है और यह फॉर्म 26AS और AIS में दिखाई देता है. अगर आपने ITR भरते समय TDS/TCS की ऐसी राशि पर छूट का दावा किया है जो विभाग के रिकॉर्ड से किसी भी तरह से मेल नहीं खाती यानी कि बैंक द्वारा जमा की गई राशि और आपके द्वारा दावा की गई राशि में अंतर है, तो विभाग तुरंत आपको नोटिस जारी कर पूछताछ भी कर सकता है.
इनसे बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपनी सभी वित्तीय गतिविधियों के लिए दस्तावेज़ीकरण (Documentation) रखें और प्रत्येक साल ईमानदारी से और समय पर ITR फाइल करने की जिम्मेदारी आपकी होती है.
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