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Why Booster Dose Is Essential: राज्य सरकारों ने केंद्र को लिखा पत्र, बूस्टर डोज नौ की जगह छह माह में लगाने की मांग

Suman Tiwari • LAST UPDATED : January 24, 2022, 12:45 pm IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Why Booster Dose Is Essential: देशभर में हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60+ वालों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज यानि (वैक्सीन की तीसरी डोज ) लग रही है। यह डोज उन लोगों को लगाई जा रही है जो पहले ही किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगने के नौ माह बाद यह (booster dose) डोज दी जा रही है। लेकिन कुछ रिसर्च का कहना है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगने के 6 महीने बाद कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। वहीं कुछ राज्य सरकारों ने केंद्र को पत्र लिखकर यह गैप तीन माह तक कम करने को कहा है। ऐसा क्यों आइए जानते हैं।

 Why Booster Dose Is Essential

  • हाल ही में एक भारतीय रिसर्च में पता चला है कि वैक्सीन लगवाने के तीन महीने बाद 30 फीसदी आबादी की कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। इनमें 40 साल से ऊपर के वे लोग हैं जो हाईपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं।
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर बूस्टर डोज लेने की समय सीमा नौ से छह माह तक करने की मांग की है। राज्य सरकारों ने तर्क दिया है कि इससे कोरोना के गंभीर मामले कम आएंगे। साथ ही हॉस्पिटलाइजेशन का भी बोझ नहीं बढ़ेगा।
  • हैदराबाद स्थित एआईजी हॉस्पिटल और एशियन हेल्थकेयर ने वैक्सीन इम्यूनिटी को लेकर रिसर्च की है। इसमें कहा गया है कि देश में 30 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनमें वैक्सीन की दोनों डोज लगने के 6 महीने बाद कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि कि 10 में से तीन लोगों में वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी का असर 6 महीने बाद ही खत्म हो जाता है।
  • कहते हैं कि इस रिसर्च का मकसद वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी के असर को जानना था। साथ ही यह पता लगाना था कि किस आबादी को बूस्टर डोज की जरूरत है। कोमॉर्बिडिटी वाले 40 साल से ऊपर के लोगों को 6 महीने बाद बूस्टर डोज लगाई जा सकती है।

बूस्टर डोज लेने के बारे में जरूर सोचें: रिसर्च

दिसंबर 2021 में एक रिसर्च से पता चला था कि एस्ट्राजेनेका (कोवीशील्ड) वैक्सीन का असर तीन महीने बाद कम होने लगता है। रिसर्च ने कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले सभी व्यक्ति और जिन देशों में बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया है उन्हें बूस्टर डोज के तौर पर तीसरी खुराक लेने के बारे में जरूर सोचना चाहिए।

कितने माह तक वायरस से बचाव कर सकती?

फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन के थर्ड फेज के स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया गया है कि यह छह महीने तक लोगों को वायरस से बचा सकती है। कैसर परमानेंट सदर्न कैलिफोर्निया और फाइजर के अध्ययन में कहा गया है छह महीने बाद फाइजर वैक्सीन लगाने के पांच से छह महीने बाद एंटीबॉडी लेवल में काफी कमी होने लगती है।

बूस्टर डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ 90फीसदी तक प्रभावी

बूस्टर डोज ओमिक्रॉन और डेल्टा के खिलाफ 90फीसदी तक प्रभावी है। ब्रिटेन की एक स्टडी में यह बात सामने आई है। इसके साथ ही अमेरिकी सीडीसी के हालिया तीन अध्ययन में भी इसकी पुष्टि हुई है।

 Why Booster Dose Is Essential

90 फीसदी केसों के लिए ओमिक्रॉन जिम्मेदार

देश की मेट्रोपॉलिटन सिटी में कोरोना के 90फीसदी केस के लिए ओमिक्रॉन वैरिंएट ही जिम्मेदार है। शीर्ष वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह धीरे-धीरे मेट्रो सिटी में डेल्टा का स्थान ले रहा है। कहते हैं कि जीनोम सीक्वेंसिंग डाटा के मुताबिक, ओमिक्रॉन शहरों में प्रमुख वेरिएंट बन चुका है। दिसंबर 2021 के चौथे हफ्ते में सीक्वेंस किए गए सैंपल में जहां 50फीसदी केस ओमिक्रॉन के केस मिल रहे थे। वहीं इस साल जनवरी के दूसरे और तीसरे हफ्ते में सीक्वेंस सैंपल में 90 से 95फीसदी केस ओमिक्रॉन के मिलने लगे हैं।

…तो इसलिए वैक्सीन और बूस्टर डोज की बीच गैप घटाने की जररूत है

  • ज्यादातर वैक्सीन का असर छह माह में कम होने लगता है।
  • ओमिक्रॉन पहले के डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले तीन गुना ज्यादा संक्रामक है।
  • राजस्थान में सौ फीसदी केसों के लिए ओमिक्रॉन ही जिम्मेदार है।
  • दिल्ली में 90 फीसदी और महाराष्टÑ में 80 फीसदी केस ओमिक्रॉन के हैं।
  • मेट्रो में संक्रमण के 90फीसदी केसों के लिए ओमिक्रॉन जिम्मेदार

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