नई दिल्ली (Earthquake): दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार दोपहर 2.30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके काफी देर तक महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.8 मापी गई है। यह भूकंप दिल्ली एनसीआर के अलावा उत्तराखंड, यूपी के रामपुर में भी महसूस किए गए हैं। भूकंप से लोगों मे काफी हलचल देखी गई। कंपन महसूस होते ही लोग अपने घरों से बाहर निकलने लगे।
दिल्ली एनसीआर में भूकंप के तेज झटके।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप का केंद्र नेपाल था, जहां 2.28 बजे 5.8 की तीव्रता वाला भूकंप आया, जिसका एहसास दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड व यूपी के कई जिलों में हुआ। जानकारी के अनुसार नेपाल में भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे रहा। भूकंप के झटके इतनी तेज थे कि लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए।
An earthquake with a magnitude of 5.8 on the Richter Scale hit Nepal at 2:28 pm today: National Center for Seismology (NCS) pic.twitter.com/bAyESuuQFJ
— ANI (@ANI) January 24, 2023
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर विभिन्न प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर निकलने लगती है। जिसकी वजह से धरती हिलने लगती है और हम इसे भूकंप कहते हैं।
रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखते हैं। इतनी तीव्रता पर भूकंप महसूस नहीं किए जाते। दुनियाभर में रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप रोजाना दर्ज किए जाते हैं। इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते।
वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं, जो एक साल में 49,000 बार दर्ज किए जाते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है। लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं जो पूरी दुनिया में एक साल में करीब 6,200 बार रिक्टर स्केल पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं। हालांकि इनसे भी नुकसान होने की संभावना न के बराबर होती है।
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