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पति की लंबी उम्र के बाद अब बेटे के तरक्की के लिए माताएं रखेंगी व्रत, जान लें शुभ मुहुर्त और पूजा विधि!

Preeti Pandey • LAST UPDATED : October 23, 2024, 8:56 am IST
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पति की लंबी उम्र के बाद अब बेटे के तरक्की के लिए माताएं रखेंगी व्रत, जान लें शुभ मुहुर्त और पूजा विधि!

Ahoi Ashtami 2024: पति की लंबी उम्र के बाद अब बेटे के तरक्की के लिए माताएं रखेंगी व्रत

India News (इंडिया न्यूज), Ahoi Ashtami 2024: करवा चौथ के बाद अब महिलाओं को अहोई अष्टमी का इंतजार है। करवा चौथ का व्रत जहां पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए रखा जाता है, वहीं अहोई अष्टमी का व्रत संतान की लंबी उम्र, तरक्की और समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद यानी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत की सही तिथि, महत्व और पूजा विधि क्या है?

संतान से जुड़े कई व्रतों में अहोई अष्टमी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र, तरक्की और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म में अहोई माता को माता पार्वती का रूप माना जाता है। ऐसे में इनकी पूजा करने से भी महादेव का आशीर्वाद मिलता है।

अहोई अष्टमी 2024 की सही तिथि

अहोई अष्टमी तिथि बुधवार, 23 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1:18 बजे से शुरू होगी, जबकि यह तिथि गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1:58 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार 24 अक्टूबर को पड़ने वाली सूर्योदय तिथि के अनुसार अहोई अष्टमी व्रत गुरुवार, 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

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पूजा मुहूर्त

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024 को अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:42 बजे से शाम 6:59 बजे तक है। इस प्रकार, पूजा की कुल अवधि 1 घंटा 17 मिनट होगी।

तारा दर्शन समय

अहोई अष्टमी पर ऊपर दिए गए शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा करने का विधान है। इस दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को तारों को अर्घ्य देने के बाद व्रत तोड़ा जाता है। इस दिन तारों को देखने का समय शाम 6.06 बजे के बाद है, जबकि चंद्रोदय का समय रात 11.55 बजे है।

अहोई अष्टमी पूजा-विधि

इस दिन माताओं और महिलाओं को सुबह उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।

दीवार पर गेरू या कुमकुम से देवी अहोई का चित्र बनाएं।

शाम को सही मुहूर्त देखकर पूजा करें। पूजा में 8 पूरी, 8 पुए और हलवा रखें।

पूजा के दौरान व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। कथा सुनने के बाद देवी से बच्चों की रक्षा करने की प्रार्थना करें।

इस दिन सेई की भी पूजा की जाती है और सेई को हलवे और सरई की सात डंडियाँ चढ़ाई जाती हैं।

पूजा के बाद अहोई अष्टमी की आरती करें। आसमान में तारे देखने के बाद व्रत खोलें।

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