Chhath Puja Nahay Khay Rituals
नहाय-खाय के दिन सुबह-सुबह घर की विशेष रूप से सफाई की जाती है. खासकर रसोई और पूजा स्थल को पवित्र रखना जरूरी है, क्योंकि यहीं से पूरे पर्व की पवित्रता शुरू होती है.
व्रती प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं. यह न केवल बाहरी शुद्धता का प्रतीक है बल्कि मन और आत्मा को भी निर्मल रखने का संकल्प होता है.
स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना अनिवार्य माना गया है. यह छठ पूजा की आत्मा है, क्योंकि यह पर्व सूर्योपासना का ही प्रतीक है. सूर्य देव को जल चढ़ाते समय मन में धन्यवाद और कृतज्ञता का भाव रखें.
इस दिन का भोजन पूर्ण रूप से सात्विक होना चाहिए. प्याज, लहसुन, मांस, मछली, अंडा जैसे तामसिक पदार्थों का प्रयोग वर्जित है. परंपरागत रूप से कद्दू की सब्जी, लौकी, चने की दाल और भात का भोजन तैयार किया जाता है.
भोजन तैयार होने के बाद सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है, उसके बाद व्रती भोजन ग्रहण करते हैं. यह परंपरा इस बात का प्रतीक है कि प्रकृति और देवताओं के प्रति आभार व्यक्त करना ही सच्ची पूजा है.
भोग लगाने के बाद सबसे पहले व्रती भोजन करते हैं, फिर परिवार के बाकी सदस्य प्रसाद के रूप में वही भोजन ग्रहण करते हैं. इससे घर में पवित्रता और सामूहिक भक्ति का भाव बना रहता है.
नहाय-खाय के दिन केवल शरीर ही नहीं, बल्कि मन और वाणी की शुद्धता भी आवश्यक है. इस दिन व्रती को क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए.
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