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इंडिया न्यूज, रुड़की :
Diwali 2021 : गुल्लक का नाम सुनते ही सभी को बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं। जब घर में आए मेहमान या दादा-दादी, नाना-नानी की ओर से दिए गए पैसे मिलते थे तो बच्चे उसे मिट्टी की गुल्लक में जमा करके त्योहार या मेलों में खर्च करने की तैयारी में जुट जाते थे।
बदलते परिदृश्य के साथ-साथ गुल्लक ने भी अपनी रंगीन पहचान खो दी, लेकिन इस बार दीपावली पर गुल्लक बाजारों में अपनी रंगीन छटा बिखेर रहा है। दीपावली पर बाजारों में मिट्टी से बना भारत लिखे गुल्लक की बच्चे और उनके परिजन जमकर खरीदारी कर रहे हैं। गुल्लक का बढ़ता क्रेज देखकर कुम्हार और मिट्टी के बर्तन बेचने वाले भी गदगद हैं।
आज के डिजिटल युग में सबकुछ बदल सा गया है। डिजिटल क्रांति में आज युवा स्मार्टफोन की मदद से गूगल-पे, फोन-पे, पेटीएम जैैसी एप से रुपये जमा और खर्च कर रहे हैं, लेकिन एक दौर था, जब बच्चों के लिए उनका बैंक गुल्लक हुआ करता था। आज के बच्चों में गुल्लक का क्रेज कम हो गया है, जिससे गुल्लक अपनी पहचान खो गया है, लेकिन इस बार दीपावली में गुल्लक के दिन फिर से लौट आए हैं। बीटी गंज बाजार में मिट्टी के बर्तनों की दुकानों पर दीपावली पर बच्चे और उनके परिजन रंग-बिरंगी गुल्लक खरीद रहे हैं।
बाजार में इस गुल्लक को अलग-अलग नाम भी दिए गए हैं। किसी गुल्लक पर कलर से भारत और किसी पर इंडियन लिखा हुआ है। घरेलू गैस सिलिंडर नुमा इस गुल्लक को बच्चे काफी पसंद कर रहे हैं। मिट्टी के बर्तन बेचने वालों का कहना है कि दीपावली पर गुल्लक की खरीदारी बढ़ी है। यह कुम्हारों और उनके लिए भी शुभ संकेत हैं। छोटे गुल्लक की कीमत 60 और बड़े गुल्लक की कीमत 120 रुपये तक है।
सीबीआरआई से सेवानिवृत्त मनीराम सैनी और सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त भगत सिंह रावत कहते हैं कि बूंद-बूंद से घड़ा भरता है, यह बात गलत नहीं है। आज की छोटी-छोटी बचत कल कब निश्चित बड़ा रूप ले, यह कोई नहीं जानता। ऐसे में आज के परिदृश्य में बचत की काफी आवश्यकता है, क्योंकि बुरा वक्त कह कर नहीं आता। ऐसे ही वक्त छोटी-छोटी बचत काफी काम आती है। बच्चे भी पैसे का मोल जानें, इसलिए परिजनों को बच्चों को गुल्लक में पैसे जमा करने की आदत डालनी चाहिए। गुल्लक इसका अच्छा जरिया है।
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