Hindi News / Dharam / In Mahabharat Duryodhans Friend Ulook Insulted Shri Krishna And Pandavas In A Public Gathering

दुर्योधन के इस मित्र ने किया था श्री कृष्ण और पांडवों का भरी सभा में अपमान, कहें थे ये कड़वे शब्द?

Mahabharat Ulook: उलूक गांधार नरेश शकुनि के तीन पुत्रों में से एक था। महाभारत के युद्ध में उलूक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat Ulook: महाभारत का युद्ध, जो कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था, इतिहास में एक प्रमुख घटना है। इस युद्ध से जुड़े कई किस्से और कहानियां प्रसिद्ध हैं, लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी भी हैं जो कम ज्ञात हैं। एक ऐसा ही महत्वपूर्ण लेकिन कम चर्चा में आने वाला किस्सा दुर्योधन के मित्र और संदेशवाहक उलूक से जुड़ा है। आइए जानते हैं कि उलूक का महाभारत के युद्ध में क्या खास योगदान था और उसने दुर्योधन के लिए क्या संदेश पहुँचाया था।

उलूक: दुर्योधन का संदेशवाहक

उलूक गांधार नरेश शकुनि के तीन पुत्रों में से एक था। महाभारत के युद्ध में उलूक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह दुर्योधन का दूत बनकर पांडवों और श्रीकृष्ण के पास संदेश लेकर गया।

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उलूक का अपमानजनक संदेश

जब उलूक पांडवों के पास दुर्योधन का संदेश लेकर पहुँचा, तो उसने बहुत ही तीखे और अपमानजनक शब्दों में दुर्योधन की ओर से संदेश दिया। इस संदेश में पांडवों की वीरता का मजाक उड़ाया गया और उन्हें खरी-खोटी सुनाई गई।

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ध्यान देने योग्य बातें:

संदेश का अपमानजनक स्वरूप:

उलूक ने पांडवों को और विशेषकर भीष्म और अर्जुन को अपमानित किया। इस अपमानजनक संदेश से पांडवों की मर्यादा और सम्मान को गहरा आघात पहुँचा। संदेश इतना अपमानजनक था कि भीष्म और अर्जुन ने उलूक के वध की तैयारी कर ली थी।

युधिष्ठिर का परिपक्व निर्णय:

हालांकि भीष्म और अर्जुन ने उलूक को दंड देने की योजना बनाई, लेकिन युधिष्ठिर ने दूत की मर्यादा का सम्मान रखते हुए उन्हें रोक लिया। युधिष्ठिर ने समझाया कि दूत को उसके संदेश के लिए जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है और उसे सम्मान दिया जाना चाहिए।

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पांडवों का जवाब:

उलूक के संदेश के बाद पांडवों ने दुर्योधन को जवाबी संदेश भेजा। भीम और सहदेव ने दुर्योधन की जांघ चीर देने की धमकी दी, जबकि नकुल और सहदेव ने भी अपने-अपने संदेश भेजे। श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के लिए कड़ा संदेश भेजा जिसमें उन्होंने कहा कि दुर्योधन से युद्ध में मिलेंगे।

महाभारत में उलूक की स्थिति

महाभारत के युद्ध में उलूक का जीवन 18वें दिन तक चला। हालांकि उसकी भूमिका महत्वपूर्ण थी, लेकिन अंततः वह युद्ध के मैदान में जीवन की जंग हार गया। उलूक का संदेश और उसकी भूमिका यह दर्शाते हैं कि महाभारत के युद्ध में न केवल युद्ध की रणनीति, बल्कि कूटनीति और दूतों की भूमिका भी अहम थी।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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