संबंधित खबरें
क्यों दुर्योधन की जांघ तोड़कर ही भीम ने उतारा था उसे मौत के घाट, पैर में छिपा था ऐसा कौन-सा जीवन का राज?
जो लोग छिपा लेते हैं दूसरों से ये 7 राज…माँ लक्ष्मी का रहता है उस घर में सदैव वास, खुशियों से भरी रहती है झोली
इन 4 राशियों की लड़कियों का प्यार पाना होता है जंग जीतने जैसा, स्वर्ग सा बना देती हैं जीवन
देवो के देव महादेव के माता-पिता है कौन? शिव परिवार में क्यों नहीं दिया जाता पूजा स्थान
नए साल पर गलती से भी न करें ये काम, अगर कर दिया ऐसा तो मां लक्ष्मी देंगी ऐसी सजा जो सोच भी नहीं पाएंगे आप
दान में जो दे दिए इतने मुट्ठी चावल तो दुनिया की कोई ताकत नहीं जो रोक दे आपके अच्छे दिन, जानें सही तरीका और नियम?
India News (इंडिया न्यूज़), Ravan Vadh Mandodari: भारत की धरती पर रामायण की कथा सभी के दिलों में बसी हुई है। हर कोई जानता है कि भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए लंका जाकर रावण का वध किया और फिर अयोध्या लौटे। लेकिन रावण की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी मंदोदरी का क्या हुआ? यह प्रश्न अक्सर अनुत्तरित रहता है, और शास्त्रों में भी इसका बहुत कम उल्लेख मिलता है। लेकिन एक पुरानी कथा बताती है कि मंदोदरी ने रावण की मृत्यु के बाद भी लंका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जब भगवान राम ने युद्ध में रावण को पराजित किया और उसका वध किया, तो युद्ध का समापन हो गया। उस दुखद समय में, मंदोदरी अपने पति और पुत्रों की मृत्यु को देखकर विलाप करने लगीं। लेकिन विलाप के बीच भी उनकी धैर्य और साहस की कहानी छिपी हुई थी। मंदोदरी ने अपने देवर विभीषण से कहा कि वह रावण की मृत्यु के बाद भी लंका की महारानी हैं और राजपाट का संचालन वही करेंगी।
रावण ने अपने इस अंग में छिपा कर रखा था अमृत, जानें उस महा चोरी की सारी कहानी?
रावण की अंतिम संस्कार की विधि पूरी होने के बाद, विभीषण का राजभिषेक हुआ। इस समय मंदोदरी ने विभीषण को राजपाट चलाने में मदद की। मंदोदरी ने अपने विवेक और अनुभव का उपयोग करते हुए लंका के शासन को संभालने में अहम भूमिका निभाई, ताकि रावण के निधन के बाद लंका में कोई अशांति न फैले। यह भी सच है कि भगवान राम की इच्छाओं के अनुसार, मंदोदरी ने विभीषण से विवाह कर लिया। राम नहीं चाहते थे कि रावण की मृत्यु के बाद लंका बिखर जाए और विभीषण राजगद्दी पर बैठने में असमर्थ रहें।
कथाओं के अनुसार, मंदोदरी ने रावण की मृत्यु के कुछ समय बाद लंका को अलविदा कहा और अपने ससुराल, जो जोधपुर के नजदीक एक गांव में स्थित था, की ओर प्रस्थान किया। यहां उन्होंने रावण का एक मंदिर बनवाया। यह मंदिर आज भी जोधपुर के पास मौजूद है, और स्थानीय लोग इसे मंदोदरी के द्वारा बनवाए गए रावण के मंदिर के रूप में मानते हैं। इस मंदिर में रावण की पूजा आज भी श्रद्धा और सम्मान के साथ की जाती है।
एक ऐसा मेटल जो कभी नहीं सकता हैं जल और वो हैं सोना, फिर कैसे सोने की लंका को दिया था जला?
मंदोदरी की कहानी केवल एक महिला की पराक्रम की कहानी नहीं है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे वह अपने पति की मृत्यु के बाद भी अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम रही। रावण के निधन के बाद भी उसकी पत्नी ने लंका के राजपाट को संभालते हुए एक स्थिरता बनाए रखी और अंततः अपने ससुराल लौट आईं। मंदोदरी की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी साहस और धैर्य के साथ अपने कर्तव्यों को निभाना संभव है।
मर्यादा पुरुषोत्तम होने के बाद भी क्यों श्री राम को लगा था ब्रह्महत्या दोष? कैसे मिली थी इससे मुक्ति
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.