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Khatu Shyam: कौन हैं हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम? करोड़ो भक्त पागलों की तरह करते हैं प्रेम

  India News (इंडिया न्यूज़), Khatu Shyam: श्रृद्धालुओं के बीच बाबा श्याम के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ती जा रही है। भक्तों का मानना है कि जो भक्त खाटू श्याम जी के शरण में जाते हैं, उसकी समस्याओं का समाधान श्याम खुद करते हैं। बता दें कि खाटू श्याम का आशीर्वाद पाने के लिए उनके […]

BY: Mudit Goswami • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), Khatu Shyam: श्रृद्धालुओं के बीच बाबा श्याम के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ती जा रही है। भक्तों का मानना है कि जो भक्त खाटू श्याम जी के शरण में जाते हैं, उसकी समस्याओं का समाधान श्याम खुद करते हैं। बता दें कि खाटू श्याम का आशीर्वाद पाने के लिए उनके भक्त भारत के अलग-अलग कोनों से राजस्थान के सीकर स्थित उनके मंदिर में मत्था टेकने आते हैं।

बता दें कि हर साल श्याम जी के जन्मदिन के अवसर पर लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है। अगर आप भी श्याम जी के भक्त हैं तो आप राजस्थान के सीकर में श्याम बाबा मंदिर के पास लगने वाले लक्खी मेले में जा सकते हैं।

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Khatu Shyam

कब है मेला? 

बता दें कि यह मेला 10 दिनों तक चलता है। जो इस फाल्गुन माह में यह मेला 12 मार्च से 21 मार्च तक लगने वाला है। वहीं इस मेले के आखिरी दिन श्याम जी का जन्मदिन मनाया जाएगा।

जानें खाट्टू श्याम के बारे में

दरअसल, जब महाभारत का युद्ध में कौरव और पांडव आपस में लड़ रहे थे। जब इस युद्ध के बारे में घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक तक पहुँची तो उसने अपनी माँ से कहा कि वह कुरूक्षेत्र के युद्ध में भाग लेने जा रहा है।

इस पर उनकी मां ने कहा कि बर्बरीक तुम्हारे पास अपार शक्तियां हैं इसलिए कभी भी अपनी शक्तियों का प्रयोग कमजोर या हारने वाली टीम पर मत करना।

भगवान कृष्ण ने मांगा शीश

महाभारत में भगवान कृष्ण को इस बात की जानकारी थी कि युद्ध में कौन हारेगा, इसीलिए श्री कृष्ण को यह भी पता था कि बर्बरीक किसका पक्ष लेने वाला है। भगवान श्री कृष्ण जानते थे कि बर्बरीक एक शक्तिशाली योद्धा है, इसीलिए उन्होंने बर्बरीक से उसका सिर दान में मांगा और उसका सिर उठाकर अमृत कलश में रख दिया।  जिससे बर्बरीक अमर हो गए।

इसके बाद भगवान कृष्ण ने उनसे प्रशन्न होकर उन्हें कलयुग में पूजे जाने का आर्शिवाद दिया।  इसके बाद बर्बरीक को बाबा खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाने लगा।

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