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India News (इंडिया न्यूज), Bhagwan Shiv Ke 6 Putra: शिव शम्भू जिनका नाम सुनते ही मन में एक अलग सा सुकून प्राप्त हो जाता है। भोलेभंडारी अपनी दानवीरता और दयालु स्वाभाव की वजह से हर एक के मन में बस्तें है, आपने शिव परिवार के बारे में अनेको कहानिया सुनी होंगी लेकिन क्या आप जानते हैं उनके बच्चे कितने थे? अब आप कहेंगे ये भी कोई पूछने कि बात है सबको पता हैं कि 3 थे! लेकिन नहीं आप यहां गलत है! बल्कि सच तो ये है कि भगवान शिव के कुल 9 संतानें थी। जिसमे उन्हें एक पुत्री और 8 पुत्र मिलाकर उनकी 9 संतानों में से तो हमेशा ही दो का उल्लेख बिल्कुल कम ही मिलता है। जब हम संतान की बात करते हैं तो उनमें से कुछ गोद ली हुई और कुछ की उत्पत्ति चमत्कारिक तरीके से हुई ही बताई जाती है लेकिन आज आपको इस बात का पूर्ण रूप से वर्णन होता मिलेगा। आओ जानते हैं उनके बारे में संक्षिप्त में हर एक जानकारी।
भगवान शिव की संतानों के संबंध में कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनमें उनकी संतानें कुछ चमत्कारिक रूप से उत्पन्न हुईं और कुछ गोद ली गईं। भगवान शिव की संतानों के बारे में निम्नलिखित जानकारी संक्षेप में प्रस्तुत है:
कार्तिकेय भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं, जिन्हें देवताओं का सेनापति माना जाता है। उनका जन्म षष्ठी तिथि को हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है।
भगवान गणेश की उत्पत्ति माता पार्वती ने अपने शरीर से बनाए गए उबटन से की थी। गणेशजी बुद्धि, समृद्धि और शुभारंभ के देवता माने जाते हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को उनका जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
सुकेश का जन्म राक्षस कुल में हुआ था, लेकिन भगवान शिव और माता पार्वती ने उसे गोद लिया और सुरक्षा प्रदान की। सुकेश से राक्षसों का वंश चला।
जलंधर का जन्म भगवान शिव के तेज से समुद्र में हुआ था। उनकी शक्ति का मुख्य कारण उनकी पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म था। वृंदा का धर्म खंडित होने पर शिव ने जलंधर का वध किया।
अयप्पा भगवान शिव और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से उत्पन्न हुए थे। उन्हें दक्षिण भारत में हरिहरपुत्र कहा जाता है और शबरीमलई के प्रसिद्ध मंदिर में उनकी पूजा की जाती है।
शिव के ललाट से पसीने की बूंदों से भौम का जन्म हुआ, जिन्हें बाद में मंगल ग्रह का अधिपति माना गया। उन्होंने काशी में तपस्या कर शिव से मंगल लोक का वरदान प्राप्त किया।
अंधक का उल्लेख बहुत कम मिलता है। पौराणिक कथाओं में वह भगवान शिव का पुत्र माना जाता है, जिसे भगवान शिव ने स्वयं पर विजय पाने के बाद मार दिया था क्योंकि वह अंधकार का प्रतीक था।
खुजा का जन्म पृथ्वी से हुआ था, और वह पृथ्वी से तेज किरणों की तरह आकाश की ओर बढ़ गए थे। उनका उल्लेख भी कम ही मिलता है।
अशोक सुंदरी माता पार्वती की पुत्री थीं, जिनका निर्माण माता ने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए किया था। उनका नाम अशोक सुंदरी इस कारण पड़ा क्योंकि उन्होंने अपने माता-पिता के जीवन में शोक को दूर किया था।
भगवान शिव की संतानों की ये कथाएं धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में विस्तृत रूप से मिलती हैं और हर संतान की अपनी विशिष्टता और महत्व है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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