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India News (इंडिया न्यूज़), Garuda Purana Sign of Death: जीवन का एकमात्र स्थाई सत्य मृत्यु है। जो भी प्राणी जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है, वो जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर भगवान विष्णु के परम धाम वैकुंठ में स्थान प्राप्त करता है। जो लोग पापी होते हैं, गलत कर्मों में लिप्त रहते हैं, उन्हें नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं। मृत्यु से पहले व्यक्ति को कई तरह के संकेत मिलने लगते हैं। उसके शरीर और व्यवहार में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं। सवाल यह है कि जब व्यक्ति की मृत्यु होने वाली होती है तो उसके शरीर में क्या होता है? आत्मा शरीर को कैसे छोड़ती है? गरुड़ पुराण में मृत्यु से जुड़े रहस्यों को विस्तार से बताया गया है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु समय है। जब मृत्यु का समय आता है, तो आत्मा शरीर से अलग हो जाती है। मृत्यु हमेशा अपने समय पर ही आती है। प्रत्येक प्राणी काल के वश में है। सत, रज और तम, ये तीनों गुण भी काल के वश में हैं। जीवों में इनका विस्तार समय के अनुसार ही होता है। जब किसी जीव की मृत्यु आती है, तो उससे कुछ समय पहले दैवीय संयोग से उसके शरीर में कोई ना कोई रोग उत्पन्न हो जाता है।
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मरने के समय सभी इन्द्रियां बेचैन हो जाती हैं, शक्ति, ऊर्जा और गति सब क्षीण हो जाती है। जीवों को जो पीड़ा होती है वो लाखों बिच्छुओं के डंक के समान होती है। इसी से मृत्यु से होने वाली पीड़ा का अनुमान लगाया जाना चाहिए। उसके बाद ही चेतना समाप्त होती है। शरीर कमजोर हो जाता है। शरीर में जड़ता आ जाती है।
उस समय मृत्यु के दूत पास में आकर खड़े हो जाते हैं और उस व्यक्ति की आत्मा को बलपूर्वक खींचने लगते हैं। उस समय आत्मा गले तक पहुंच जाती है। मरने से पहले मृतक का रूप डरावना हो जाता है। वो अपने मुंह से झाग थूकने लगता है। उसका मुंह लार से भर जाता है। उसके बाद मृत्यु के दूत शरीर में रहने वाली आत्मा को अपने साथ यमलोक ले जाते हैं। व्यक्ति की आत्मा शरीर को छोड़ देती है। मृत्यु के समय शरीर में बहने वाली वायु तेज हो जाती है, इसकी शक्ति से अग्नि तत्व भी तेज हो जाता है और ऊपर उठने लगता है। वो गर्मी शरीर के कोमल अंगों को चुभने लगती है। इसके कारण व्यक्ति को अत्यधिक पीड़ा होती है।
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जो झूठ नहीं बोलते, जो छल नहीं करते, जो आस्तिक और भक्त हैं, वो सुख से मरते हैं। जो सदाचारी और सज्जन हैं, वो सुख से मरते हैं। जो भ्रम, अज्ञान का उपदेश देते हैं, झूठ बोलते हैं, छल करते हैं, ऐसे लोग अचेत होकर मरते हैं। उन्हें मृत्यु के दूत उठा ले जाते हैं। उनका शरीर कांपता है, वो माता, पिता, पुत्र को याद करके रोते हैं। उस समय वो चाहकर भी उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता। भय के मारे उनकी आंखें नाचने लगती हैं। उनकी सांस बढ़ जाती है और मुंह सूखने लगता है। अत्यन्त दुःख और पीड़ा के कारण वो अपना शरीर छोड़ देता है। उसके बाद वो दूसरों के लिए घृणा का पात्र बन जाता है।
जब कोई व्यक्ति मरता है, तो उसकी आत्मा आंखों, नाक या त्वचा के छिद्रों के माध्यम से शरीर को छोड़ती है। एक बुद्धिमान या महान व्यक्ति की आत्मा उसके मस्तिष्क के ऊपरी हिस्से से निकलती है, जबकि एक पापी की आत्मा उसके गुदा के माध्यम से निकलती है।
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