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Choti Diwali 2023: आज छोटी दिवाली का पावन त्योहार, जानिए क्यों है खास और क्या है इतिहास

India News(इंडिया न्यूज),Choti Diwali 2023: भारत समेत पूरी दुनिया के लिए दिवाली के उल्लास से भड़ा पूरा त्योहार होता है और इस साल की दिवाली 12 नवंबर यानी कल मनाई जा रही है। जिसके एक दिन पहले यानी आज छोटी दिवाली है। हलाकि दिवाली एक ऐसा त्योहार है जिसके आने के एक महीनें पहले से […]

BY: Shubham Pathak • UPDATED :
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India News(इंडिया न्यूज),Choti Diwali 2023: भारत समेत पूरी दुनिया के लिए दिवाली के उल्लास से भड़ा पूरा त्योहार होता है और इस साल की दिवाली 12 नवंबर यानी कल मनाई जा रही है। जिसके एक दिन पहले यानी आज छोटी दिवाली है। हलाकि दिवाली एक ऐसा त्योहार है जिसके आने के एक महीनें पहले से ही ऐसा लगने लगता है कि, अब दिवाली नजदीक है। चलिए अब आपको बतातें है कि, दीपावली से एक दिन पहले छोटी दिवाली का क्या महत्व होता है।

छोटी दिवाली क्यों है खास

चलिए आपको बतातें है कि, छोटी दिवाली क्यों खास है। इस बार आज यानी शनिवार को हर्षोल्लास के साथ छोटी दिवाली परंपरागत ढंग से मनाई जाएगी। इस दिन पापों के प्रतीक नरकासुर के नाश की कामना से चार ज्योत वाले दीप जलाए जाते हैं। छोटी दीपावली पर शाम को घर के बाहर चौमुखा दीप जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का संहार किया था। इसलिए छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नदी घाटों पर लोग नरक चतुर्दशी पर नदी स्नान की प्राचीन मान्यता भी है।

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Choti Diwali 2023

क्या है छोटी दिवाली का इतिहास

इसके साथ ही छोटी दीपावली मनाने को लेकर कई सारी बातें सामने आई है। लेकिन आज हमको बताएंगे कि, इसके पिछे का सच क्या है। ऐसा कहा जाता है कि, रति देव नाम के एक राजा थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन एक दिन उनके सामने यमदूत आ खड़े हो गए। जिसे देख राजा को अचंभा हुआ और उन्होंने कहा कि मैंने तो कभी कोई पाप नहीं किया फिर भी क्या मुझे नरक जाना होगा। यह सुनकर यमदूत ने कहा कि एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप का फल है।

यह सुनकर राजा ने प्रायश्चित करने के लिए यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा। यमदूतों ने राजा को एक वर्ष का समय दे दिया। राजा ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें सारी कहानी सुनाकर अपनी इस दुविधा से मुक्ति का उपाय पूछा। तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। राजा ने वैसा ही किया और पाप मुक्त हो गए। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति के लिए कार्तिक चतुर्दशी के दिन व्रत और दीप जलाने का प्रचलन चल रहा है।

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narak chaturdashi

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