India News (इंडिया न्यूज़) Uttar Pradesh : यूपी में राजनीतिक पार्टियां इस समय लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी हुई हैं। लेकिन घोसी उपचुनाव ने पार्टियों को दुबारा सोचने पर मजबूर कर दिया। एक तरफ जहां समजवादी पार्टी जीत से उत्साहित है। बीजेपी फिर से अपने सहयोगियों का सर्वे करा रही। लेकिन घोसी उपचुनाव के बाद सबसे ज्यादा चिंता बीएसपी की बढ़ी।
बीएसपी को यूपी में अपने वोट बैंक खोने का डर है। घोसी में मायावती के पार्टी का कोई उम्मीदवार न हो। लेकिन समजवादी पार्टी की तरफ से प्रचार किया जा रहा है कि दलितों ने हमें वोट दिया हैं। उससे बीएसपी की चिंता बढ़ी है। बीएसपी का मानना है कि अगर ये संदेश फैला तब उसका वोट बैंक खिसक सकता है। जिससे 2024 में उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
बता दें कि, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को एक करोड़ 93 लाख मिले थे। उस समय पार्टी को 19 सीटें मिली थीं। अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बसपा ने कैडर कैंप शुरू किया हैं। इनमें खास तौर पर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो को जोड़ने का प्रयास है। इसी कारण पदाधिकारियों के लक्ष्य तय किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में ‘गांव चलो अभियान’ अभियान चलाया जा रहा है।
प्रदेश की सत्ताधारी दल बीजेपी और सहयोगी दल पहले से दलित वोट बैंक हासिल करने में जुट गए है। बीजेपी ने ‘लाभार्थियों’ को रियायतों के साथ लुभाने की योजना बनाई है। कमजोर वर्गों को साधने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं का सहारा लिया है। सरकारी योजनाओं में दलित लाभार्थी का एक बड़ा हिस्सा हैं। उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का समर्थन किया। जिसकी वजह से बहुजन समाज पार्टी का पतन हुआ।
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