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Kya Ahoi Mata ki Mala Badal Sakte Hain क्या अहोई अष्टमी माता की माला बदल सकते हैं?

Amit Gupta • LAST UPDATED : October 26, 2021, 2:27 pm IST

Kya Ahoi Mata ki Mala Badal Sakte Hain क्या अहोई अष्टमी माता की माला बदल सकते हैं?

अहोई माता (Ahoi Ashtami 2021) का व्रत हर मां के लिए सौभाग्यशाली होता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों के लिए निर्जला व्रत करती हैं। यह व्रत ठीक वैसे ही कठिन है जैसे कि करवाचौथ व्रत है। आज हम आपको बताएं कि अगर अहोई माता की माला गुम गई है तो आप क्या करें? क्या माला बदली जा सकती है?

Ahoi Mala Na Mile Toh Kya Karen अगर न मिले अहोई माला तो क्या करें

बच्चों के लिए एक और व्रत होता है। इसे संकट चौथ का व्रत कहा जाता है। इस व्रत का नाम भी देश के अगल-अलग राज्यों के अलग-अलग है। खैर 28 अक्टूबर को अहोई माता का व्रत है तो हम आज इसी विषय पर चर्चा करेंगे।
अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से 8 दिन पहले होता है। कार्तिक मास की आठवीं तिथि को पड़ने के कारण इसे अहोई आठे भी कहा जाता है।

क्या अहोई माता की माला बदल सकते हैं? (Kya Ahoi Mata ki Mala Badal Sakte Hain)

इस बारे में जानेमान विद्वान और ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू कहते हैं कि हां, आप माला बदल सकते हैं। इसके लिए आप नई माला ले लें और इसे दिवाली तक धारण करके रखें। इस लेख में आपको बताया जाएगा कि माला को कैसे धारण करें और माला गुम जाए तो क्या करें?

इस बार है विशेष संयोग (Kya Ahoi Mata ki Mala Badal Sakte Hain)

इस बार विशेष संयोगों के साथ अहोई अष्टमी व्रत आ रहा है। इसमें सवार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गजकेसरी योग में पड़ रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है।

इस दिन व्रत के अतिरिक्त सोना, चांदी, मकान, घरेलू सामान, विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, कंप्यूटर या दीर्घ काल में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं खरीदने का भी अक्षय तृतीया या धन त्रयोदशी जैसा ही शुभ दिन होगा।

संतान की दीघार्यु जीवन के लिए रखें व्रत

इस दिन महिलाएं अहोई माता का व्रत रखती हैं और उनका विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। यह व्रत संतान के खुशहाल और दीघार्यु जीवन के लिए रखा जाता है। इससे संतान के जीवन में संकटों और कष्टों से रक्षा होती है। अहोई अष्टमी का व्रत महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। अपनी संतान की मंगलकामना के लिए वे अष्टमी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। मुख्यत: शाम के समय में अहोई माता की पूजा अर्चना की जाती है। फिर रात्रि के समय तारों को करवे से अर्ध्य देती हैं और उनकी आरती करती हैं।

क्या है अहोई माता की माला का महत्व

अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। पूजा चाहे आप जिस विधि से करें लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुनें और सुनाएं। पूजा के पश्चात अपनी सास के पैर छूएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके पश्चात व्रती अन्न जल ग्रहण करती हैं।

अहोई अष्टमी पर महिलाएं चांदी के मोती की माला भी बनाती हैं, जिसमें अहोई माता का लॉकेट पड़ा होता है।

हर साल इस माला में दो मोती और जोड़ दिए जाते हैं, इसको स्याउ कहा जाता है।

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