दुनिया के 5 ऐसे देश जहां नहीं एक भी नदी, फिर कहां से करते है पानी की जरूरत पूरी?

Nations with No Rivers: भारत जैसे देश में रहते हुए  नदियों के बिना जीवन की कल्पना लगभग असंभव लगती है। हमारे लिए नदियां केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन, खेती और सभ्यता का आधार हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में ऐसे भी देश हैं, जहां एक भी नदी नहीं बहती। फिर भी वहां के लोग न केवल जी रहे हैं, बल्कि आधुनिक तकनीक और संसाधनों के दम पर समृद्ध जीवन बिता रहे हैं। तेल और गैस के भंडार के साथ इन देशों ने यह साबित किया है कि पानी की कमी के बावजूद तरक्की मुमकिन है।

सऊदी अरब

सऊदी अरब को रेगिस्तान का साम्राज्य कहा जाता है। यहां चारों ओर रेत के टीले हैं और तापमान कई बार 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस देश में एक भी प्राकृतिक नदी नहीं है। लेकिन पानी की जरूरतें पूरी करने के लिए सऊदी अरब ने तकनीक का सहारा लिया है। यहां समुद्री जल को डीसैलिनेशन तकनीक से पीने योग्य बनाया जाता है। साथ ही भूजल और रिसाइकिल किए गए पानी का भी उपयोग किया जाता है। सऊदी अरब इस बात का उदाहरण है कि जब संसाधन कम हों तो नवाचार ही समाधान बन सकता है।

कतर

कतर भी ऐसा देश है, जहां बारिश बहुत कम होती है और नदियों का नामोनिशान नहीं। यहां पानी की आपूर्ति पूरी तरह से डीसैलिनेशन प्लांट्स पर निर्भर है। कतर सरकार ने पानी की बर्बादी रोकने के लिए सख्त कानून बनाए हैं। यहां पानी की अधिक खपत पर जुर्माने का प्रावधान है। इस अनुशासन और तकनीकी क्षमता की वजह से कतर ने रेगिस्तान के बीच एक विकसित राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाई है।

संयुक्त अरब अमीरात (UAE)

दुबई और अबू धाबी जैसे शहरों वाला UAE भी बिना नदियों का देश है। यहां की चमक-दमक के पीछे एक सटीक जल प्रबंधन प्रणाली है। UAE में पानी डीसैलिनेशन और रिसाइकिलिंग तकनीक से तैयार किया जाता है। खेती के लिए ट्रीटेड पानी का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि पीने के पानी की बचत हो सके। इस देश ने दिखाया है कि समझदारी और विज्ञान के बल पर रेगिस्तान को भी हरा-भरा बनाया जा सकता है।

कुवैत

कुवैत भी खाड़ी का एक छोटा देश है, जहां बारिश नाममात्र होती है। यहां की पूरी आबादी समुद्री पानी को मीठा बनाकर ही अपनी जरूरतें पूरी करती है। कुवैत ने डीसैलिनेशन तकनीक में महारत हासिल की है और आज यह देश जल संकट से जूझने के बजाय जल प्रबंधन में उदाहरण बन चुका है।

मालदीव

हिंद महासागर के बीच बसे मालदीव में कोई स्थायी नदी नहीं है। यहां की मिट्टी इतनी छिद्रपूर्ण है कि बारिश का पानी भी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता। ऐसे में मालदीव वर्षा जल संचयन, डीसैलिनेशन और बोतलबंद पानी पर निर्भर है। इस देश ने अपनी भौगोलिक चुनौतियों को तकनीक और पर्यावरणीय समझ से पार किया है।

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