India News (इंडिया न्यूज),Antibiotic Side Effects:आजकल लोग आंत की सेहत को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं। खान-पान की आदतों का सबसे तेजी से असर हमारी आंतों की सेहत पर पड़ता है। आंत से मतलब है हमारा पेट यानी बड़ी आंत। आंत में हजारों बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जिनका वजन एक अनुमान के मुताबिक करीब 1 किलो होता है। ये छोटे-छोटे बैक्टीरिया पेट और पाचन में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि आंत में सिर्फ अच्छे बैक्टीरिया ही रहते हैं। आंत में कुछ बुरे बैक्टीरिया भी होते हैं, जो कई बार हमला कर देते हैं। आइए जानते हैं कि आंत की सेहत को कैसे अच्छा रखा जाए और आंत में पनप रहे अच्छे बैक्टीरिया के दुश्मन कौन-कौन से हैं?
आपको कोई भी संक्रमण हो जाता है और आप एंटीबायोटिक्स लेना शुरू कर देते हैं। एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल संक्रमण को ठीक करने के लिए किया जाता है, लेकिन ये दवाइयां न केवल बैक्टीरिया को मारती हैं बल्कि पेट यानी आंत के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं।
Antibiotic Side Effects: हर छोटी बीमारी में एंटीबायोटिक लेना पड़ सकता है भारी
जब हम लंबे समय तक बार-बार एंटीबायोटिक्स लेते हैं, तो आंत के बैक्टीरिया भी क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। खास तौर पर 50-60 साल बाद जब जैव विविधता खत्म हो जाती है। ऐसे में ये एंटीबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। जिससे डायरिया हो सकता है। इनमें से एक हल्का डायरिया होता है जिसे एंटीबायोटिक से जुड़ा डायरिया कहते हैं और दूसरा इतना गंभीर होता है कि इससे मौत भी हो सकती है। ऐसा तब होता है जब आंत के सभी अच्छे बैक्टीरिया मर जाते हैं। जब सिर्फ बुरे बैक्टीरिया बचते हैं, तो वे आंत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसी स्थिति में मौत भी हो सकती है।
एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए। अगर किसी का पेट खराब होता है तो लोग एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं, जो बिल्कुल गलत है। क्योंकि कम उम्र में होने वाली ज्यादातर समस्याएं खुद ही खत्म हो जाती हैं। ये हैं वायरल डायरिया। इसमें एंटीबायोटिक्स के फायदे बहुत कम और नुकसान बहुत ज्यादा होते हैं। इसलिए डॉक्टर से सलाह लेकर ही एंटीबायोटिक्स लें। पॉलीफार्मेसी यानी एंटीबायोटिक्स का कई बार इस्तेमाल सही नहीं है। खासकर जो लोग ज्यादा उम्र के हैं उन्हें इससे बचना चाहिए। अगर आप 1 महीने तक कोई भी एंटीबायोटिक लेते हैं तो इससे काफी नुकसान हो सकता है।
अगर गट हेल्थ लंबे समय तक खराब है तो इससे ऑटोइम्यून डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। ऑटोइम्यून डिजीज का मतलब है कि आपके शरीर की कोशिकाएं आप पर हमला करना शुरू कर देती हैं। इससे आपको ऑटोइम्यून पैंक्रियाज, ऑटोइम्यून थायरॉयड और ऑटोइम्यून नर्वस सिस्टम हो सकता है। इसमें गट बैक्टीरिया बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में हमारे शरीर के अंदर मौजूद बैक्टीरिया अपने ही शरीर पर हमला करते हैं जिससे आंत बुरी तरह से डैमेज होने लगती है। इसमें दो बीमारियाँ होती हैं – अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग। ये दोनों ही ऑटोइम्यून बीमारियाँ हैं।