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Lungs Damage Treatment नए 'माइक्रो आरएनए' को टारगेट कर फेफड़े से जुड़ी बीमारियों का इलाज होगा आसान

Sameer Saini • LAST UPDATED : November 30, 2021, 10:37 am IST

Lungs Damage Treatment : आजकल के बदलते लाइफस्टाइल और वातावरण में बढ़ते प्रदूषण के चलते फेफड़ों से संबंधित बीमारियों को खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में दुनियाभर में इन बीमारियों से बचने के लिए निरंतर शोध भी जारी हैं। इसी फेहरिस्त में साइंटिस्टों ने एक ऐसे सूक्ष्म आरएनए की खोज की है, जिसे निशाना बनाकर या उसे रोककर सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज का नया संभावित आसान इलाज खोजा जा सकता है।

रिसर्चर्स ने इस सूक्ष्म आरएनए को माइक्रो आरएनए-21 नाम दिया है। ऑस्ट्रेलिया के सेंटनेरी यूटीएस सेंटर फार इंफ्लेमेशन के वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस स्टडी के नतीजे साइंस एंड ट्रांसलेश्नल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों का एक ऐसा रोग है, जिसमें मरीज सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता। इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण प्रदूषण और स्मोकिंग बताया जाता है। (Lungs Damage Treatment)

इसमें फेफड़े में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेना कठिन हो जाता है। इनसे होने वाली बीमारियां दुनियाभर में मौत का तीसरा बड़ा कारण हैं। सीओपीडी बीमारी पहले सबसे ज्यादा चालीस वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में होता था, पर अब इसका असर कम उम्र के बच्चों और युवकों में भी ज्यादा नजर आ रहा है।

कैसे हुई स्टडी

रिसर्चर्स ने चूहों पर की गई एक प्री-क्लिनिकल स्टडी में माइक्रो आरएनए-21 के लेवल को बढ़ा पाया है। इसकी रोकथाम के लिए एंटागोमिर-21 का इस्तेमाल किया गया, जिससे फेफड़े की सूजन कम हो गई और उसके कामकाज की क्षमता में भी वृद्धि हुई। इसके आधार पर रिसर्चर्स का मानना है यदि माइक्रो आरएनए-21 के लेवल पर काबू पाया जा सके या उसकी रोकथाम हो सके, तो फेफड़े से संबंधित बीमारियों का इलाज आसान हो सकता है।

रिसर्चर्स का कहना है कि एंटागोमिर-21– माइक्रो आरएनए-21 की अभिव्यक्ति यानी असर को कम करने के साथ ही वायु मार्ग और फेफड़े में मैक्रोफैगस, न्यूट्रोफिल्स और लिंफोसाइट्स जैसे इंफ्लेमेटरी सेल्स की वृद्धि को भी कम करता है। लंग्स साइटोकाइन, जो सूजन से जुड़े रिएक्शन को बढ़ा देता है, उसे भी एंटागोमिर-21 से रोका जा सकता है। (Lungs Damage Treatment)

रिसर्च के नतीजों में क्या निकला

इस स्टडी के मेन राइटर और सेंटनेरी यूटीएस सेंटर फार इंफ्लेमेशन के निदेशक प्रोफेसर फिल हंसब्रो ने बताया कि उनके निष्कर्ष से सीओपीडी के बारे में बिल्कुल नई बातें सामने आई हैं। उनके मुताबिक, वैसे तो माइक्रो आरएनए-21 एक सामान्य मालीक्यूल है, जो इंसानी शरीर की अधिकांश सेल्स में अभिव्यक्त होता है और कई सारी नाजुक जैविक प्रकियाओं को रेगुलेट करता है। (Lungs Damage Treatment)

लेकिन हमारी रिसर्च का नतीजा ये है कि सीओपीडी मामले में माइक्रो आरएनए-21 का लेवल बढ़ जाता है। प्रोफेसर फिल हंसब्रो ने बताया कि हम मानते हैं कि कोई ऐसी दवा, जो माइक्रो आरएनए-21 को रोक सके, वह सीओपीडी के इलाज की दिशा में पूर्णतया नया दृष्टिकोण होगा। यह सीओपीडी को कंट्रोल करने या उसके प्रसार को रोकने के लिए मौजूदा इलाज से ज्यादा कारगर होगा। (Lungs Damage Treatment)

उन्होंने बताया कि सीओपीडी के प्रभावी इलाज की सबसे बड़ी बाधा इस बीमारी को सही तरीके से नहीं समझ पाने की रही है। लेकिन हमारी रिसर्च के आंकड़ों से माइक्रो आरएएन-21 के बारे में जो नई जानकारी मिली है, उसके आधार पर मुकाबला करने या बीमारी की रोकथाम के लिए एक नया संभावित इलाज उपलब्ध हो सकेगा।

Lungs Damage Treatment

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