Malaria Drug Effective Against Corona शुरुआत में जब कोरोना ने दहशत मचाना शुरू किया था तब इसके खिलाफ कोई दवा कारगर नहीं थी। कुछ समय बाद माना गया कि कोरोना को रोकने में भारतीय मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कारगर है। इसके बाद दुनिया भर में इस भारतीय दवा की मांग बढ़ गई। भारत ने अमेरिका जैसे संपन्न देश को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की पांच करोड़ खुराक भेजी थी।
उस समय के तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया था कि मैंने यह दवाई खाई है इसलिए मुझे कोरोना नहीं होगा। हालांकि कुछ ही दिनों बाद ट्रंप भी कोरोना के शिकार हो गए। इसके बाद कुछ रिसर्च में भी दावा किया गया कि मलेरिया की दवा कोरोना के खिलाफ कारगर नहीं है। अब एक नई रिसर्च में एक बार फिर दावा किया जा रहा है कि मलेरिया की एक दूसरी दवा कोरोना को रोकने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
डेनमार्क में आरहस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने लैब टेस्ट के आधार पर दावा किया है कि मलेरिया रोधी दवा एटोवाक्वीन कोरोना वायरस को कोशिकाओं में घुसने से रोक सकती है। रिसर्च के अनुसार यह दवा अल्फा, डेल्टा और बीटा वेरिएंट को लंग्स की कोशिकाओं में घुसने ही नहीं देती। यानी कोरोना वायरस कोशिका के अंदर प्रवेश ही नहीं कर सकता। हालांकि यह लैबोरेटरी स्टडी है। अभी इसका इंसानों पर ट्रायल किया जाना बाकी है।
एटोवाक्वीन एंटीमलेरियल मालारोन ग्रुप की दवा है, जिसका इस्तेमाल मलेरिया के खिलाफ 1999 से किया जा रहा है। इस दवा पर मेडिकल न्यूज से बात करते हुए वेंदरविल्ट मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर डॉ विलियम शिफनर ने बताया कि निश्चित रूप से यह स्टडी महत्वपूर्ण है।
चूंकि अब तक कोरोना के खिलाफ कोई कारगर दवा नहीं आई है, ऐसे में जाहिर है कि हर कोई मलेरिया रोधी इस दवा को लेकर उत्साहित है। अगर क्लिनिकल ट्रायल में इसके अच्छे परिणाम सामने आते हैं तो यह दवा कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
(Malaria Drug Effective Against Corona)
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