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Oral cancer: 20 सालों में 50 फीसदी बढ़ सकता है ओरल कैंसर, पुरुषों को ज्यादा खतरा, जानें कैसे

Shanu kumari • LAST UPDATED : March 8, 2024, 6:00 pm IST

India news (इंडिया न्यूज), Oral cancer: ओरल कैंसर , मुंह में होने वाली एक घातक बीमारी है। जो अक्सर जीभ , अंदरूनी गाल, ऊपरी और निचले जबड़े के भाग को प्रभावित करती है। मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण दर्द रहित और लक्षणहीन होते हैं। इस वजह से इस बीमारी का उपचार करना काफी मत्वपूर्ण हो जाता है। एसे में इस बीमारी के बारें में जागरूक होना बेहद जरूरी है। आइए इस बीमारी के बारें में विस्तार से जानें ।

विश्व सवास्थ्य संगठन (world health organization) का अनुमान है कि 2020 से 2040 तक मुंह के कैंसर (ओरल कैंसर) की घटनाएं 50.7% तक बढ़ सकती हैं। ओरल कैविटी कैंसर के अनुमानित मामले 60 लोगों में से एक में हो सकती है। वाराणसी में, पीबीसीआर के आंकड़ों के अनुसार, ओरल कैविटी पुरुषों में कैंसर का प्रमुख कारण है। जो तकरीबन 40% कैंसर के लिए जिम्मेदार है।

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वहीं महिलाओं में 6% है। कैंसर के हर तीन में से एक मामला मुंह के कैंसर का हो सकता है। जिले में 48 में से एक पुरुष को मुंह के कैंसर होने का खतरा है। ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में (प्रति 100,000 जनसंख्या पर 22.4) में कैंसर की घटना दर 38% अधिक है। इस प्रभाव को बेहतर जीवनशैली , खान-पान की आदतों और सवास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाकर कम किया जा सकता है।

क्या है मुंह का कैंसर ?

ओरल कैंसर, मुंह की एक खतरनाक बीमारी है जो अंदरूनी गाल, ऊपरी और निचले जबड़े के हिस्से को प्रभावित करती है। जो ज्यादातर मौखिक म्यूकोसा के कार्सिनोजेनिक पदार्थों के अत्धिक संपर्क में आने के कारण बनता है। वाराणसी में इस कैंसर का प्रमुख कारण चबाने वाली खैनी, तंबाकू और सुपारी है। कई निष्कर्षों से पता चलता है कि वे लोग जो शराब और तंबाकू दोनों का सेवन करते हैं, उनमें मुंह के कैंसर का खतरा उन लोगों की तुलना में 8 गुना अधिक होती है जो दोनों का सेवन नहीं करते हैं। इसके अलावे सिगरेट या बीड़ी पीना और सुपारी या पान चबाना भी उतना ही खतरनाक है।

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मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या है ?

मुंह के कैंसर के शुरुआती चरण दर्द रहित और लक्षणहीन होते हैं , इसलिए इसका उपचार करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। मुंह के कैंसर आमतौर पर घाव (शुरुआती लक्षण) सफेद घाव (ल्यूकोप्लाकिया) लाल घाव (एरिथ्रोप्लाकिया) , मुंह में जलन(लाइकेन प्लेनस), मुंह खोलने में परेशानी (ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस) और ठीक न होने वाले अल्सर पैदा कर सकता है। एक बार कैंसर के खतरनाक होने के बाद मुंह, चेहरे के हिस्से में अनियमित बढ़ोतरी /घाव/ ठीक न होने वाले अल्सर को साफ देखा जा सकता है। ये गर्दन के लिम्फ नोड्स में भी सूजन का कारण बन सकता है।

क्या है मुंह के कैंसर का इलाज ?

मौखिक कैंसर का उपचार आमतौर पर परीक्षण (विजुअल एग्जामिनेशन) के जरिए किया जाता है। मौखिक कैंसर(oral cancer) के उपचार का एक आसान तरीका है। कैंसर के उपचार में सर्जरी प्रमुख उपचार है। जिसके बाद उन्नत मामलों में रेडिएशन और किमोथेरेपी जैसे सहायक उपचार आते हैं। वे सभी लक्षण जो कैंसर की बीमारी जैसे लाल धब्बे या दर्द रहित अल्सर के लिए ancologist से सलाह लेनी चाहिए। इस बीमारी का निजात पुरी तरह से समय पर र्निभर करती है। इसलिए इस बीमारी की पहचान कर समय पर इलाज करवाना बेहद जरूरी है।

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