Protein For Brain हर किसी की जिंदगी अच्छी और बुरी यादों के साथ ही आगे बढ़ती है। कुछ लोग बुरी यादों पर मिट्टी डाल आगे की तरफ देखते हैं। तो वहीं कुछ लोग बुरी यादों के साथ अपना आज और आने वाला कल भी प्रभावित करते हैं, उनको बुरी यादों से पार पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन सा लगता है। लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि कोई ऐसी चीज हो, जिससे हम अपनी लाइफ की बुरी यादों को मिटा सकें, तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।
ब्रिटेन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्रोटीन का पता लगाया है, जो किसी व्यक्ति के भावनात्मक विचारों और यादों को बदलने या भूलने में मदद करता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह प्रोटीन बुरी यादों को मिटाने का एक तरीका हो सकता है।
(Protein For Brain)
कैंब्रिज यूनविर्सिटी के न्यूरोसाइंस विभाग की साइंटिस्ट और चीफ रिसर्चर डॉ एमी मिल्टन ने ब्रेन में शैंक प्रोटीन के होने का दावा किया है, जो बुरी यादों से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। साइंटिस्टों ने रिसर्च के दौरान चूहों को करंट का हल्का झटका दिया। इसके तुरंत बाद उन्हें बीटा ब्लॉकर दवा प्रोपरानोलोल दी गई। इसके बाद रिसर्चर्स ने देखा कि चूहे को स्मृतिलोप तो नहीं हुआ, लेकिन मस्तिष्क में शैंक प्रोटीन की मौजूदगी के कारण वह मानसिक रूप से अस्थिर नहीं हुआ।
रिसर्चर्स का कहना है कि ब्रेन में मौजूद शैंक प्रोटीन की मात्रा घटती है तो ब्रेन में यादों से जुड़े तंत्रों में बदलाव संभव है। हालांकि ये कहना बहुत मुश्किल है कि शैंक प्रोटीन मेमोरी ब्रेकडाउन के लिए सीधे तौर पर जुड़ा रहता है या कोई गंभीर रिएक्शन के जरिए ऐसा होता है। मालूम हो कि वर्ष 2004 में न्यूयॉर्क में साइंटिस्टों ने प्रोपरानोलोल की मदद से जानवरों को ट्रॉमा से निकालने का पता लगाया था।
प्रमुख शोधकर्ता डॉ मिल्टन के अनुसार, मनुष्यों का भी ब्रेन चूहों के ब्रेन की तरह होता है। ऐसे में उम्मीद कर सकते हैं कि ये तरकीब मनुष्यों को बुरी या तकलीफदेह यादों से बचाने में मददगार होगी। बीटा ब्लॉकर दवाएं बीपी कम करने व एड्रनलिन हॉर्मोन के प्रभाव को कम करने में मदद करती है। हार्ट को धीमी गति से काम करने के लिए ये दवा दी जाती है।
साइंटिस्टों का कहना है कि मनुष्यों का ब्रेन अपने आप में एक दुनिया है। शैंक प्रोटीन ब्रेन में मौजूद रिसेप्टर्स को सहयोग करता है। इसी से पता चलता है कि कैसे ब्रेन का अलग-अलग न्यूरॉन्स के साथ मजबूत संबंध होता है।
साइंटिस्टों के मुताबिक, इससे बुरी यादों को हटाने में कामयाबी मिल सकती है, लेकिन वैसा कुछ नहीं होगा जैसे फिल्मों में दिखाया जाता है। फिल्मों में मुख्य किरदार खुद तय करता है कि उसे कौन सी बुरी याद हटानी है। वास्तिवक जीवन में अभी ऐसा करने के लिए काफी समय लगेगा।
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