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Vertigo : कहीं आप तो इस बीमारी की चपेट में नही हैं, करवट बदलने पर आते हैं चक्कर

Sameer Saini • LAST UPDATED : October 27, 2021, 6:04 am IST

Vertigo : कोरोना महामारी के इस दौर में इंसान न जाने कितनी समस्याओं से जूझ रहा है। कोरोना के दौरान लोग कई तरह की नई और पुरानी बीमारियों की चपेट में भी आए। इस दौरान हमें कई ऐसी बीमारियों के बारे में मालूम चला, जिसके बारे में न तो हमने पहले कभी सुना था और न ही कहीं पढ़ा था। इन्हीं में से एक बीमारी है- वर्टाइगो। आज हम यहां आपको वर्टाइगो के बारे में कुछ बहुत ही जरूरी बातें बताने जा रहे हैं। जिन्हें ध्यान में रखकर आप किसी बड़ी मुसीबत से बच सकते हैं।

Vertigo क्या है

कई मरीज होते हैं जिन्हें चक्कर आते हैं। कुछ मरीज ऐसे भी आते हैं, जिन्हें संतुलन खोकर गिरने का डर सताता है। उन्होंने बताया कि वर्टाइगो में सेंस ऑफ रोटेशन, इम्बैलेंस हो जाता है। ज्यादातर मरीज बताते हैं कि सोते समय करवट लेने पर उन्हें चक्कर आने लगते हैं। इसके अलावा उन्हें इम्बैलेंस का डर महसूस होता है. लोगों ने इसे डिजिनेस का नाम भी दिया है। वर्टाइगो दो तरह के होते हैं। पेरीफेरल वर्टाइगो, जो हमारे कान से जुड़ा होता है। सेंट्रल वर्टाइगो, जो दिमाग से जुड़ा होता है।

Vertigo के लक्षण

करवट लेते समय झनझनाहट जैसा महसूस होता है, चक्कर आना और उल्टी होना इसके मुख्य लक्षण है। कितनी कॉमन है ये बीमारी और किस उम्र के लोगों पर ज्यादा प्रभाव करती है। ये बीमारी 70 से 80 फीसदी उम्रदराज लोगों को होती है। ये एक कॉमन बीमारी है।

Vertigo की वजह क्या है

इंसान को दो तरह से चक्कर आते हैं। कई बार कान से या उनके बीच के तालमेल में आई दिक्कतों की वजह से लोगों को चक्कर आते हैं या फिर ये दिमाग से आते हैं। अगर पेरीफेरल वर्टाइगो की बात करें तो जैसे किसी व्यक्ति को कान की समस्या है, सुनने में तकलीफ है या कान के अंदर मौजूद रहने वाले सेंस ऑर्गन्स में किसी परेशानी की वजह से चक्कर आते हैं। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति के दिमाग में कोई रकेशानी है या दिमाग का जो सेंटर होता है वहां ब्लड की सप्लाई कम हुई है तो उसकी वजह से, हाइपरटेंशन, डायबिटीज या दिमाग से जुड़ी कोई बीमारी, ट्यूमर आदि की वजह से भी चक्कर आते हैं।

स्क्रीन या वीडियो गेम खेलने का कितना प्रभाव होता है

लंबे समय तक स्क्रीन देखना, वर्टाइगो का डायरेक्ट ट्रिगर नहीं है। चक्कर के साथ अगर किसी व्यक्ति को माइग्रेन है तो ज्यादा देर तक स्क्रीन देखना उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है।

बीमारी के ट्रीटमेंट में कितना वक्त लगता है

वर्टाइगो का इलाज कई चीजों को ध्यान में रखकर किया जाता है। इस बीमारी का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि इसके कारण क्या हैं। अगर आपके दिमाग में कोई समस्या नहीं है, कोई ट्यूमर नहीं है और कान में कोई दिक्कत है, सुनने में समस्या है। ऐसे मामलों में ट्रीटमेंट काफी मदद करता है. लेकिन अगर आपका कान भी ठीक है, दिमाग भी ठीक है, आपका ब्लड प्रेशर, शुगर सब ठीक है, तब मेडिकेशन ज्यादा हेल्प करता है। कुछ एक्सरसाइज भी होती है जो काफी मदद करती है।

फिजिकल थेरेपी वर्टाइगो को कम करने के लिए मददगार

कुछ वेस्टीबुलर एक्सरसाइजेज होती है जो काफी मदद करती है। इसके साथ ही ‘फिजिकल थेरेपी बैलेंस ट्रेनिंग’ बहुत मदद करती है।

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