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Decision On Land Regularization Policy In Himachal Pradesh Will Come Very Soon So Many People Had Applied
हिमाचल प्रदेश में भूमि नियमितीकरण नीति पर बहुत जल्द आएगा फैसला, इतने लोगों ने किया था आवेदन
India News (इंडिया न्यूज),Himachal Pradesh: हिमाचल हाईकोर्ट में 2002 की भूमि नियमितीकरण नीति पर बहुत जल्द निर्णय आ सकता है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने 8 जनवरी को सुनवाई के बाद इस फैसले को सुरक्षित रख लिया है। राज्य की नियमितीकरण नीति के तहत सरकार ने लोगों से […]
India News (इंडिया न्यूज),Himachal Pradesh: हिमाचल हाईकोर्ट में 2002 की भूमि नियमितीकरण नीति पर बहुत जल्द निर्णय आ सकता है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने 8 जनवरी को सुनवाई के बाद इस फैसले को सुरक्षित रख लिया है। राज्य की नियमितीकरण नीति के तहत सरकार ने लोगों से आवेदन मांगे थे, जिन्होंने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया। इसके तहत 1 लाख 65 हजार से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया था। तत्कालीन BJP सरकार ने भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन कर धारा 163-ए को जोड़ा, जिसके तहत लोगों को 5 से 20 बीघा तक जमीन देने और नियमितीकरण करने का निर्णय लिया गया था, जिससे जरूरतमंद लोगों को जमीन दी जा सके।
लाखों लोगों को इसका फायदा होगा
आपको बता दें कि इस नीति की वैधता के खिलाफ हाईकोर्ट में 2 लोगों ने चुनौती दी। अगस्त 2002 में 2 न्यायाधीशों की खंडपीठ ने प्रकिया जारी रखने के आदेश दिए थे, जबकि पट्टा देने से मना कर दिया था। अब 23 साल बाद इस मामले में निर्णय आएगा। वहीं, भारत सरकार की तरफ से दलीलें दी गईं कि प्रदेश सरकार ऐसी नीति नहीं बना सकती। वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों के तहत प्रदेश सरकार केंद्र की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बिना किसी भी अतिक्रमण को नियमित नहीं कर सकती। वहीं, महाधिवक्ता अनूप रतन ने बताया कि यह सरकार का अधिकार रहा है कि प्रदेश के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसी नीति बनाई गई। यह समय की मांग है। लाखों लोगों को इसका फायदा होगा।