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Mehul Choksi Extradition : मेहुल चोकसी को लेकर भारत को मिल बड़ी सफलता, इस देश ने मदद करने से किया मना, अब क्या करेंगा भगोड़ा कारोबारी?

Mehul Choksi Extradition : चोकसी की नागरिकता रद्द करने का फैसला तब आया जब एंटीगुआ और बारबुडा के अधिकारियों ने निष्कर्ष निकाला कि उसने कथित तौर पर भारत में अपनी लंबित आपराधिक जांच का खुलासा करने में विफल रहा है।

BY: Shubham Srivastava • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Mehul Choksi Extradition : भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के मामले में भारत को बड़ी सफलता मिलते हुए दिख रही है। खबरों के मुताबिक ऐसा दावा किया जा रहा है कि एंटीगुआ और बारबुडा सरकार ने बेल्जियम और भारतीय दोनों अधिकारियों को सूचित किया है कि वह बेल्जियम में चल रही प्रत्यर्पण प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। बता दें कि चोकसी एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास पूरे विश्व के किसी भी देश की नागरिकता नहीं है। इसको लेकर एंटीगुआ ने साफ किया है कि गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण का मामला पूरी तरह से बेल्जियम के अधिकार क्षेत्र में आता है और वह किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं करेगा।

कोर्ट में नागरिकता रद्द करने को चुनौती

असल में एंटीगुआ और बारबुडा के उच्च न्यायालय में चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता रद्द करने को चुनौती दी है, जिसमें दावा किया गया है कि वह राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार है और उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। जानकारी के मुताबिक एंटीगुआ के अधिकारियों ने भारतीय समकक्षों को यह स्पष्ट कर दिया है कि चूंकि उसकी नागरिकता आधिकारिक रूप से रद्द कर दी गई है और न्यायिक कार्यवाही चल रही है, इसलिए बेल्जियम की अदालती कार्यवाही में उसे कोई नागरिक अधिकार नहीं दिया जाएगा।

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Mehul Choksi Extradition : मेहुल चोकसी को लेकर भारत को मिल बड़ी सफलता

चोकसी को एंटीगुआ की नागरिकता कैसे मिली?

जानकारी के लिए बता दें कि 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में मुख्य आरोपी चोकसी ने 2017 में देश के इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम माध्यम से एंटीगुआ की नागरिकता प्राप्त की थी। एंटीगुआ सरकार ने नागरिकता के लिए प्रोसीजर करते समय तथ्यों को छिपाने और अपने क्रिमिनल बैकग्राउंड के बारे में उचित जानकारी न देने का हवाला देते हुए 2023 में उसकी नागरिकता रद्द कर दी।

वहीं चोकसी की नागरिकता रद्द करने का फैसला तब आया जब एंटीगुआ और बारबुडा के अधिकारियों ने निष्कर्ष निकाला कि उसने कथित तौर पर भारत में अपनी लंबित आपराधिक जांच का खुलासा करने में विफल रहा है और दूसरा पासपोर्ट हासिल करने के दौरान उसने उचित प्रक्रिया में हेराफेरी की है।

बता दें कि एंटीगुआ ने संकेत दिया है कि वह बेल्जियम में भारतीय अधिकारियों द्वारा किए जा रहे प्रत्यर्पण का न तो समर्थन करेगा और न ही विरोध करेगा। एंटीगुआ के बाहर होने और अब मामला पूरी तरह से बेल्जियम के अधिकार क्षेत्र में आने के कारण है।

चोकसी के प्रत्यर्पण में क्या बाधाएं आएगी?

चोकसी के बचाव में प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों को लागू करने की भी उम्मीद है, जिसके अनुसार कथित अपराध को दोनों देशों में अपराध के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, कानूनी चुनौती में मानवाधिकार संबंधी चिंताएं शामिल हो सकती हैं, जिसमें टीम यह तर्क दे सकती है कि भारत में जेल की स्थितियां अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा नहीं करती हैं और इससे उनके स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है।

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