Indira Gandhi Peace Prize To Michelle Bachelet: कांग्रेस (Congress) की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने हाल ही में चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बेचेलेट (Michelle Bachelet) को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया. इसके बाद से भाजपा लगातार कांग्रेस पर हमलावर है. भाजपा ने मिशेल को पुरस्कार देने का विरोध करते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम तथा जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर उनकी ओर से की गई पिछली आलोचनाओं का हवाला दिया.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, ‘राहुल गांधी के सबसे लविंग अंकल हैं जार्ज सरोज, जिनका मकसद है. जिनको सोनिया गांधी पुरस्कृत कर रही है उन मिशेल की तस्वीरें जार्ज सरोज के साथ है. सोनिया गांधी को क्या हक है ऐसी महिला को पुरस्कृत करने का जो हमारे संविधान में विश्वास नहीं करती, यही मिशेल असम में एनआरसी का विरोध कर रही हैं. असम में एनआरसी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रही है. क्या सोनिया गांधी आज भी खुद को भारतीय नहीं मानती क्या सोनिया गांधी यह देश से गद्दारी नहीं कर रही है. आज कांग्रेस पार्टी गद्दारों की फौज है. सोनिया गांधी ने हर देशवासी को अपमानित किया है मिशेल को पुरस्कृत कर.”
साल 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू और कश्मीर में प्रतिबंधों पर टिप्पणी करते हुए, मिशेल बैचलेट, जो उस समय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रमुख के रूप में कार्यरत थे, ने कश्मीरियों के मानवाधिकारों पर भारत सरकार द्वारा हाल की कार्रवाइयों के प्रभाव के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की थी. फिर साल 2020 में बैचलेट ने सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक मुकदमे में न्यायमित्र के रूप में हस्तक्षेप करने के लिए एक आवेदन दायर किया था. केंद्र ने पलटवार करते हुए कहा था कि “किसी भी विदेशी पक्ष को भारत की संप्रभुता से जुड़े मुद्दों पर कोई अधिकार नहीं है”.
1986 में स्थापित इस पुरस्कार का संचालन सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित गांधी परिवार के अन्य सदस्य भी इस ट्रस्ट के सदस्य हैं. बैचलेट इस पुरस्कार की 37वीं प्राप्तकर्ता हैं. चिली की सोशलिस्ट पार्टी की सदस्य, बैचलेट को दिए गए पुरस्कार के प्रशस्ति पत्र में कठिन परिस्थितियों में शांति, लैंगिक समानता, मानवाधिकार, लोकतंत्र और विकास के लिए उनके निरंतर प्रयासों और चिली के साथ भारत के संबंधों में उनके योगदान की सराहना की गई.
सोनिया गांधी ने पुरस्कार देते हुए कहा कि “आज, मुझे एक और असाधारण, प्रेरक नेता, जिनका हम सम्मान कर रहे हैं, के जीवन पर कुछ शब्द कहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. चिली की पूर्व राष्ट्रपति, मिशेल बैचलेट ने अपने शुरुआती वर्षों में, प्रत्यक्ष रूप से, हानि, उत्पीड़न, यातना और निर्वासन का अनुभव किया है. यह एक उल्लेखनीय संयोग है कि इन दोनों महिलाओं का जन्म और पालन-पोषण संघर्ष के दौर में हुआ.”
सोनिया गांधी ने आगे कहा कि “उनका देश, उनके लोग, उनका परिवार और वे स्वयं भी पराधीनता के शिकार थे. मैडम बैचलेट चिली वापस लौटीं, जहां उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया और साथ ही अपने देश को एक लोकतंत्र में बदलते हुए भी देखा. एक प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवर के रूप में, उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ काम किया और बाद में 2000 में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्होंने बाधाओं को तोड़ना जारी रखा, चिली और लैटिन अमेरिका की पहली महिला रक्षा मंत्री बनीं, और दो अलग-अलग मौकों पर अपने देश की राष्ट्रपति निर्वाचित होकर इतिहास रच दिया. उनका कार्य सभी के, विशेषकर महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के प्रयासों में निहित रहा है.”
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