India News (इंडिया न्यूज़),Delhi News: दिल्ली अध्यादेश बिल पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने अपने बयान में कहा कि ये बिल दिल्ली की जनता का अपमान है, I.N.D.I.A. और कांग्रेस ने इसका विरोध करने और इसे हराने का फैसला किया है। कुछ लोग कुछ बातों पर असहमत हो सकते हैं लेकिन अंततः पार्टी नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा वही अंतिम निर्णय होगा। ये फैसला काफी सोच-विचार के बाद लिया गया है। केंद्र का यह कदम संघीय ढांचे को कमजोर करता है…आप फैसले को रद्द करने के लिए यह कदम उठा रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि आपको न्यायपालिका पर विश्वास नहीं है।
#WATCH ये बिल दिल्ली की जनता का अपमान है, I.N.D.I.A. और कांग्रेस ने इसका विरोध करने और इसे हराने का फैसला किया है। कुछ लोग कुछ बातों पर असहमत हो सकते हैं लेकिन अंततः पार्टी नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा वही अंतिम निर्णय होगा। ये फैसला काफी सोच-विचार के बाद लिया गया है। केंद्र का यह… https://t.co/WyUkpmtLGS pic.twitter.com/MURy0TSco1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 1, 2023
गौरतलब है 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला देकर ये साफ कर दिया कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल है और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी अधिकार भी उसी का है। प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है, लेकिन बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी।
ऐसे में केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई , जिसके तहत अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को वापस मिल गया। अब इस अध्यादेश को लेकर हंगामा मचा हुआ है। दिल्ली की केजरिवाल सरकार संसद में इसे कानून बनने से बाचाने के लिए विपक्ष की सहायता की मांग कर रही है।
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