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Family of Pilibhit village Hope : थारू परिवार को 75 साल से माझी का इंतजार

Ajay Dubey • LAST UPDATED : February 23, 2022, 9:01 pm IST

Family of Pilibhit village Hope

अजय कुमार द्विवेदी, नई दिल्ली 
Family of Pilibhit village Hope : आजादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं। पालीभीत का थारू परिवार आज भी विकास से कोसों दूर है। चुनावी मौसम में यहां विभिन्नि राजनीतिक दलों के नेता आकर बड़े-बड़े वादे कर चले जाते हैं। जीत जाने के बाद गांव की ओर मुड़ कर भी नहीं देखते। इसके बावजूद साल दर साल थारू परिवार चुनाव का बष्हिकार न कर चुनाव के पर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता हैं। इसमें मुख्य बात यह है कि उन्हें वोट डालने के लिए चंद कदम नहीं चलने पड़ते हैं बल्कि लंबी दूरी तय करने के बाद नाव से पुल पार करना पड़ता है। थारू परिवार आज भी आस लगाए कि शायद कोई माझी मिल जाए तो उनकी समस्या को अपना समझकर पुल का निर्माण करवा दे तो उन्हें मतदान समेत शहर जाने के लिए तमाम तकलीफों का सामना न करना पड़े।

गांव में 500 मतदाता Family of Pilibhit village Hope 

पालीभीत की कलीनगर तहसील में ढकिया ताल्लुके महाराजपुर के मौजा गोरख डिब्बी और थारू पटटी में करीब 170 परिवार रहते हैं। इनमें वोटरों की संख्या 500 के करीब है। यहां जनप्रतिनिधि वोट डालने आते हैं और हर बार यहां पुल बनवाने का आश्वासन देते हैं। चुनाव जीतने के बाद गांव आना तो दूर उनकी सुध तक नहीं लेते हैं।

मतदान करने के लिए सात किमी का रास्ता करते तय Family of Pilibhit village Hope

 

यहां के लोग मतदान के प्रति काफी जागरूक है। वह हर बार लंबी दूरी तय करने व नदी को नाव से पार करने के बाद मतदान स्थल तक पहुंचते हैं। नाव से नदी को पार कर फिर तीन किमी की दूरी तय कर नगरिया खुर्द और रमनगरा क्षेत्र के बूथों पर आकर वोट डाल पाते हैं। ग्रामीणों की नाव पर बैठकर आने की फोटो हर बार समाचार पत्रो व सोशल मीडिया पर वायरल होती है। इसके बाद भी यहां किसी बड़े नेता ने यहां पुल बनवाने की नहीं सोची।

ग्रामीण बोले

थारू परिवार के सदस्य राधे राना ने बताया कि हर बार उम्मीदों को आगे रखकर वोट जरूर करते हैं। उन्होंने बताया कि मतदान करना हर किसी व्यक्ति की जिम्मेदारी है। नेता हर बार वादा करते हैं लेकिन जीतने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि कभी तो कोई ऐसा नेता (माझी) आएगा जो उनकी समस्या को जानकर पुल बनवाने का काम करेंगे। उसके बाद हम लोगों को वोट डालने में ज्यादा खुशी होगी। वहीं, बुधवार को सुबह से वोट डालने के लिए थारू परिवारों की भीड़ नदी पर देखने को मिली। पुरुषों के साथ महिलाएं और युवा भी पीछे हटते दिखाई नहीं दिए।

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