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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
भारत जल्द ही 500 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनेगा। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) की ओर से बयान आया है कि चालू वित्त वर्ष के बजट में पूंजी व्यय पर जोर से विनिर्माण को गति मिलेगी और कर राजस्व संग्रह बढ़ेगा। भारत 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर रहेगा।
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष 2021-22 में कर राजस्व रिकॉर्ड 34 प्रतिशत बढ़कर 27.07 लाख करोड़ रुपए रहा जोकि कोरोना वायरस की 3 लहरों के बाद अर्थव्यवस्था में तेज रिवाइवल को दर्शाता है। बीते वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह रिकॉर्ड 49 प्रतिशत बढ़कर 14.10 लाख करोड़ रुपये रहा। वहीं अप्रत्यक्ष कर संग्रह 20 प्रतिशत बढ़कर 12.90 लाख करोड़ रुपये रहा। यह अर्थव्यवस्था (कल्ल्िरंल्ल एूङ्मल्लङ्मे८) में तेजी और कर चोरी पर लगाम लगाने को लेकर उठाए गए कदमों का नतीजा है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था और वैश्विक आर्थिक ताकत बनाने की परिकल्पना की थी। देश का जीडीपी 2021-22 में लगभग 3,000 अरब डॉलर होने का अनुमान है।
केंद्र सरकार का भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने पर जोर है और इस दिशा में कई कदम उठाये गये हैं। यह हाल के वर्षों में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि में दिखता है। इन उपायों से सरकारी खजाने के लिये राजस्व संग्रह बढ़ा है। साथ ही भारत इससे 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते पर है।
बताया गया है कि कोविड-19 के कारण कुछ समय के लिये अर्थव्यवस्था को झटका लगा। लेकिन सरकार ने हाल के वर्षों में बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर को 10 प्रतिशत से ऊपर कायम रखा है। जीएसटी (माल एवं सेवा कर) देश के जीडीपी को आगे बढ़ाने को लेकर एक बड़ा कदम रहा है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में पूंजी व्यय पर जोर के साथ आने वाले वर्षों में घरेलू विनिर्माण में तेजी आएगी और रोजगार बढ़ेगा। इससे कर संग्रह और बढ़ेगा। कुल कंपनी कर संग्रह 2021-22 में 8.6 लाख करोड़ रुपये रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 6.5 लाख करोड़ रुपये था।
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