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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
पीएम मोदी ने आज इंडियन स्पेस एसोसिएशन का वर्चुअली उद्घाटन किया है। 21वीं सदी के दौर में हर राष्ट्र स्पेस में अपना वर्जस्व खोज रहा है, वहीं हमारे देश भारत के पास कई तरह की एन्ड टू एन्ड टेक्नोलाजी है। भारत दुनिया की टॉप डिजिटल इकोनॉमी में भी काफी आगे है। इससे दुनिया में अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत की धाक बढ़ेगी। ऐसे में इंडियन स्पेस एसोसिएशन शुरू होने के बाद भारत के अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने में भी फायदा होगा। फिलहाल हमार 2029 तक अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य है।
यह एक स्पेसक्राफ्ट होता है जो स्पेस में रहता है और सोलर पैनल से ही चार्ज होकर काम करता है। इस स्पेसक्राफ्ट में अंतरिक्ष यात्री रहकर कई तरह के प्रयोग करते हैं। यह लंबे समय तक अंतरिक्ष में रह सकता है। अंतरिक्ष स्टेशन से दूसरा अंतरिक्षयान भी जुड़ सकता है। यह पृथ्वी की निचली कक्षा में रहकर चक्कर काटता रहता है। इसे नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को पृथ्वी से 400 किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा। इसमें अंतरिक्ष यात्री 15 से 20 दिन तक रह सकेंगे। इसरो के प्रमुख के सीवन ने बृहस्पतिवार को घोषणा की थी कि भारत के प्रस्तावित अंतरिक्ष स्टेशन का वजन करीब 20 टन होगा।
अभी अंतरिक्ष में दो Space Station काम कर रहे हैं. इनमें से एक अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ और जापान के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन कहा जाता है। दूसरा स्पेस स्टेशन चीन का है। इसका नाम तिआनगोंग-2 है। हालांकि पूर्ण रूप से आईएसएस ही सक्रिय है।
Space Station भारत के लिए काफी फायदेमंद रहेगा। स्पेश स्टेशन की मदद से भारत अपने दुश्मन देशों पर आसानी से नजर रख सकेगा। इससे अंतरिक्ष में बार-बार निगरानी उपग्रह भेजने की जरूरत नहीं रह जाएगी। स्पेस स्टेशन में लगे कैमरे से भारत अच्छी गुणवत्ता वाली तस्वीरें हासिल कर सकेगा। भारत जो देखना चाहेगा, उसे आसानी से देख सकेगा। इससे भारत की न केवल अंतरिक्ष में बल्कि पृथ्वी की निगरानी की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। इस स्टेशन पर भारतीय वैज्ञानिक कई तरह के प्रयोग कर सकेंगे। इनके नतीजों का व्यापक इस्तेमाल किया जा सकेगा।
आज पीएम मोदी ने इंडियन स्पेस एसोसिएशन का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारतीय स्पेस सेक्टर, 130 करोड़ देशवासियों की प्रगति का एक बड़ा माध्यम है। हमारे लिए स्पेस सेक्टर यानी, सामान्य मानवी के लिए बेहतर मैपिंग, इमेजिंग और कनेक्टिविटी की सुविधा, इंटरप्रिन्योर के लिए शिपमेंट से लेकर डिलीवरी तक बेहतर स्पीड है। 20वीं सदी में स्पेस और स्पेस पर राज करने की प्रवृत्ति ने दुनिया के देशों को किस तरह विभाजित किया। अब 21वीं सदी में स्पेस दुनिया को जोड़ने में अहम भूमिका निभाए, ये भारत को सुनिश्चित करना होगा।
ISpA के संस्थापक सदस्यों में लार्सन एंड टुब्रो, नेल्को (टाटा ग्रुप), वनवेब, भारती एयरटेल, मैपमायइंडिया, वालचंदनागर इंडस्ट्री, अनंत टेक्नॉलजी लिमिटेड शामिल हैं। इसके अन्य सदस्यों में गोदरेज, अजिस्टा-बीएसटी एरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, इएछ, सेंटम इलेक्ट्रानिक्स एंड मैक्सर इंडिया शामिल हैं।
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