NCERT Class 7 New Social Science Book
जनाकारी के लिए बता दें कि, 6 पन्नों का यह सेक्शन, जिसे ‘गजनवी हमले’ कहा गया है, एक बॉक्स में लिखे “सावधानी के शब्द” से शुरू होता है, जो क्लास 8 की किताब में दिल्ली सल्तनत चैप्टर से पहले इस्तेमाल किए गए नोट जैसा ही है. सूत्रों के अनुसार, नोट में कहा गया है कि हमारा नजरिया यह है कि उनका सामना करना और उनका विश्लेषण करना बेहतर है ताकि यह समझा जा सके कि किन वजहों से ऐसे हालात बने और उम्मीद है कि भविष्य में उनकी पुनरावृत्ति से बचने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हालांकि पिछली घटनाओं को मिटाया या नकारा नहीं जा सकता, लेकिन आज किसी को भी उनके लिए जिम्मेदार ठहराना गलत होगा.
नया चैप्टर उसके 17 भारत अभियानों, जयपाल और उसके बेटे पर उसकी जीत, और तेज घुड़सवारों और घुड़सवार तीरंदाज़ों के इस्तेमाल के बारे में बताता है. यह छात्रों को बताता है कि कैसे कई दिनों की लड़ाई के बाद सोमनाथ मंदिर गिरा और कैसे महमूद भारी मात्रा में धन-दौलत लेकर गज़नी वापस गया. इसमें यह भी बताया गया है कि मौजूदा सोमनाथ मंदिर, जिसे 1950 में फिर से बनाया गया था और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा खोला गया था, उसे पूरी तरह से सार्वजनिक दान से बनाया गया था. छात्रों को यह सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि यह फैसला क्यों लिया गया.
विस्तारित सामग्री महमूद को एक मजबूत लेकिन क्रूर कमांडर के रूप में बताती है जिसके हमलों से कई नागरिकों की मौत हुई और बच्चों को बंदी बनाया गया जिन्हें बाद में मध्य एशियाई गुलाम बाज़ारों में बेच दिया गया. इसमें उनके बायोग्राफर अल-उत्बी का ज़िक्र है, जिन्होंने लिखा था कि महमूद ने मंदिरों को तोड़ा, बच्चों और जानवरों को लूट के तौर पर ले गया, और पवित्र जगहों पर मस्जिदें बनवाईं. किताब में अल-बिरूनी के हवाले से यह भी बताया गया है कि सोमनाथ शिवलिंग को कैसे तोड़ा गया और उसके टुकड़े ग़ज़नी ले जाए गए.
गजनवी वंश के बाद, ‘टर्निंग टाइड्स: 11वीं और 12वीं सदी’ चैप्टर में मुहम्मद ग़ोरी, कुतुब-उद-दीन ऐबक और बख्तियार खिलजी के बारे में बताया गया है. क्लास 7 की NCERT की किताब में पहली बार बख्तियार खिलजी के पूर्वी भारत में अभियानों और मशहूर बौद्ध केंद्रों नालंदा और विक्रमशिला को नष्ट करने का पूरा ब्यौरा दिया गया है. किताब में कई भिक्षुओं की हत्या, धन की लूट के बारे में बताया गया है, और उन बातों का ज़िक्र है जिनमें कहा गया है कि नालंदा की लाइब्रेरी महीनों तक जलती रही. इसमें यह भी कहा गया है कि इतिहासकार आम तौर पर मानते हैं कि इन विनाशों की वजह से भारत में बौद्ध धर्म का पतन तेज़ी से हुआ.
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