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Rahul Gandhi sentenced: गुजरात की सूरत सेशन कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई है। सूरत सेशन कोर्ट ने चार साल पुराने मानहानि के एक मामले में यह सजा सुनाई है। हालांकि, सजा सुनाने के तुरंत बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी। राहुल गांधी सेशन कोर्ट ने IPC की धारा 499 और 500 के तहत दोषी करार दिया था। बता दें कि सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता पर तलवार लटकने लगी है। आपको बताते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है और उनके पास अब क्या कानूनी प्रावधान बचे हैं।
जनप्रतिनिधि कानून में एसा प्रावधान है कि अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा हुई है तो उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस कानून के अनुसार जैसे ही संसद या राज्य विधानसभा के सदस्य को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या उससे ज्यादा सजा होती है, तो वो सदस्य सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जा सकता है। इसके साथ ही उसके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती है। ऐसे में अगर हाई कोर्ट जिला अदालत के फैसले को नहीं पलटते तो राहुल की संसद से सदस्यता जा सकती है।
सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को जमानत देते हुए 30 दिन के लिए सजा को सस्पेंड कर दिया है। यानी कोर्ट से उन्हें ऊपरी अदालत में अर्जी दाखिल करने का वक्त मिल गया है। राहुल सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें 30 दिन के भीतर ही अदालत में याचिका दाखिल करनी होगी।
दरअसल, 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान कहा था, “नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम एक ही क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?” राहुल की इस टिप्पणी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी। राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज हुआ। बीजेपी नेता का कहना था कि राहुल गांधी ने इस टिप्पणी से पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया।
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