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Russia Ukraine War Harmful For India : जानिए कैसे, रूस पर लगी पाबंदियों का असर भारत के रक्षा आयात पर पड़ेगा?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 5, 2022, 1:38 pm IST
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Russia Ukraine War Harmful For India : जानिए कैसे, रूस पर लगी पाबंदियों का असर भारत के रक्षा आयात पर पड़ेगा?

Russia Ukraine War Harmful For India

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Russia Ukraine War Harmful For India: पिछले दस दिनों से यूक्रेन रूस जंग लगातार जारी। इस जंग के बाद से अमेरिका सहित पश्चिम देशों ने रूस पर पाबंदियां लगा दी हैं। रूस पर लगी इन पाबंदियों का असर भारत को कई तरह से भुगतना पड़ सकता है।

बता दें मौजूदा हालात में अब रूस की डिफेंस इंडस्ट्री अपनी जरूरतें पूरी करने पर ज्यादा तवज्जो देगी। ऐसे में तयशुदा समय में की जाने वाली सप्लाई बाधित हो सकती है। इस जंग का सबसे बड़ा असर भारत और रूस के बीच हुए 5 एस-400 यूनिट की डीलिवरी पर भी पड़ सकता है। चलिए जानते हैं कि रूस पर लगी पाबंदियों का असर भारत को मिलने वाले हथियारों पर कैसे पड़ेगा। इन पाबंदियों से बचने का क्या है रास्ता।

Which Weapons Purchases Will Be Affected By Sanctions On Russia? (Russia Ukraine War Harmful For India)

  •  भारत का रक्षा के क्षेत्र में रूस के साथ पुराना नाता रहा है, (russia india defense deal) लेकिन कोई नया पेमेंट मैकेनिज्म नहीं होने के चलते रूस पर नए पाबंदियों का असर भारत के रक्षा आयात पर पड़ सकता है। रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा तनाव का असर रूस से होने वाली हथियारों की डिलीवरी पर पड़ने की संभावना है। क्योंकि रूसी बैंकिंग चैनलों पर बैन से भारत के पेमेंट्स सिस्टम को प्रभावित करेगी। इससे पेमेंट्स में देरी हो सकती है।
  • किसी भी हथियार की खरीददारी के लिए किसी देश को एक साथ पूरा पैसा नहीं दिया जाता है। क्योंकि जैसे हथियार की डिलीवरी होती रहती है। वैसे ही उसका पेमेंट् किया जाता है। इससे कई रक्षा डील पर भी असर पड़ेगा जो हो चुकी है। रूसी बैंकिंग सिस्टम के खिलाफ नए प्रतिबंध और इन्हें स्विफ्ट से बाहर करने के कदम से दोनों देशों के बीच सामान्य रूप से कारोबार करने की क्षमता पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।

Russia Ukraine War Harmful For India

चक्र-3 परमाणु पनडुब्बी: भारत ने रूस से 10 साल की लीज पर अकुला क्लास की परमाणु पनडुब्बी को लेने की डील की है। इसे भारत में चक्र-3 के नाम से जाना जाता है। रूस इंडियन नेवी को इसे 2025 में सौंपेगा। लेकिन रूस पर प्रतिबंध लगने से इस पनडुब्बी के मिलने में देरी हो सकती है।

 

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एके-203 राइफल: भारत और रूस ने अमेठी की कोरवा डिफेंस फैक्ट्री में 5 लाख एके-203 राइफल बनाने की डील भी साइन की है। अभी तक अमेठी में उत्पादन शुरू नहीं हुआ है। इसलिए इसमें भी देरी होगी। भारतीय सेना को मिलने वाली राइफलों में से 70 हजार राइफलों के पार्ट रूस में निर्मित होंगे। इन राइफलों का उत्पादन शुरू होने के करीब ढाई सालों बाद ये सेना को मिलना था।

एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम: भारत ने 2018 में रूस से पांच एस-400 एयर (s 400 missile) डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए 5.4 अरब डॉलर की डील की थी। इनमें से सिर्फ एक यूनिट कुछ माह पहले ही भारत को डिलीवरी हुई है। इसकी तैनाती भी हो गई है। लेकिन रूस पर प्रतिबंध लगने से बाकी चार यूनिट के जल्द मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही है।

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  • वहीं अमेरिका इस डील से नाराज है। ऐसे में वह काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट यानी काट्सा कानून के तहत भारत पर कार्रवाई कर सकता है। अमेरिका एस-400 डिफेंस सिस्टम खरीदने पर तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है। काट्सा कानून के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति के पास ईरान, नॉर्थ कोरिया या रूस के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले देश के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का अधिकार है।
  • चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव की स्थिति में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम भारत के लिए बेहद जरूरी है। क्योंकि चीन के पास पहले से ही 6 एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम है। इनमें से दो की तैनाती उसने एलएसी के पास कर रखी है।
  • अमेरिका के पास पैट्रियट मिसाइल सिस्टम है। इसे बेहद ताकतवर माना जाता है, लेकिन कई पैमानों पर एस-400 उससे भी बेहतर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पैट्रियट सिस्टम की तैनाती में 25 मिनट का समय लगता है। वहीं, एस-400 को छह मिनट के भीतर तैनात किया जा सकता है। इसलिए भारत के पास एकमात्र च्वाइस एस-400 है।

मिग-29: भारत की डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने 2020 में रूस से 21 मिग-29 जेट के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। प्रतिबंध लगने के बाद इस बार संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिका के एक शीर्ष अफसर ने भी दावा किया है कि भारत ने रूस से यह डील रद्द कर दी है।

सुखोई-30: इंडियन एयरफोर्स के पास जो सुखोई-30 और मिग फाइटर जेट हैं वह भी रूस के बने हैं। एयरफोर्स के कुल प्लेन में से 71 फीसदी हिस्सा इन्ही का है। ऐसे में इनके रखरखाव के लिए कलपूर्जों और उपकरण रूस से ही मिलते हैं। प्रतिबंधों का असर इनपर भी पड़ेगा।

तलवार क्लास की फ्रिगेट: 2018 में इंडियन नेवी के लिए चार तलवार क्लास की एडवांस फ्रिगेट के युद्धपोतों की डिलीवरी के लिए 950 मिलियन डॉलर की डील हुई थी। इन युद्धपोत को एक यूक्रेनी गैस टर्बाइन इंजन लगना है। भारत को 2019 में क्रीमिया संकट के बावजूद यूक्रेन को रूस में बनने वाले पहले दो युद्धपोतों के लिए इंजन की आपूर्ति करने के लिए मनाने में कामयाब रहा। इन दो युद्धपोतों के लिए गैस टर्बाइन इंजन रूस को डिलीवर कर दिए गए हैं। हालांकि पाबंदी के चलते इनमें भी देरी हो सकती है।

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ब्रह्मोस मिसाइलें: रूस पर प्रतिबंध का असर भारत में बने सभी रूसी रक्षा उत्पाद जैसे पैदल सेना लड़ाकू वाहन बीएमपी 2 और ब्रह्मोस मिसाइलों पर भी पड़ेगा। क्योंकि इनके रखरखाव और मरम्मत के लिए उपकरण रूस से ही आते हैं। भारत ने रूस के साथ मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल को बनाया है। इसके साथ ही भारत को फिलीपींस से इसके निर्यात का आॅर्डर मिला है। लेकिन प्रतिबंधों का असर इस पर भी पड़ेगा। क्योंकि रूस से इसके कलपुर्जे और उपकरण मिलने में देरी होगी।

टी-90 टैंक: भारत के पास अभी रूस के बने 1500 से ज्यादा टी-90 टैंक हैं। वहीं भारत ने रूस से 2019 में 464 और टी-90 टैंक खरीदने की डील की थी। हालांकि यूक्रेन पर रूसी हमले का असर इस डील पर भी पड़ सकता है। कई रिपोर्टों में यह दावा किया जा रहा है कि भारत ने यह डील कैंसिल कर दी है।

किस तरह से बच सकते हैं पाबंदियों से?  (Russia Ukraine War Harmful For India)

  • वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि ये अल्टरनेटिव मैकेनिज्म रूस के छोटे बैंकों हो सकते हैं। इन पर प्रतिबंध नहीं लगे है। इनके जरिए भारत आसानी से रूस को पेमेंट् कर सकेगा। अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने कुछ रूसी बैंकों को स्विफ्ट सिस्टम से बाहर कर दिया है। अभी तक स्विफ्ट का असर सिर्फ बड़े बैंकों पर ही है। ऐसे में छोटे बैंक के जरिए पेमेंट् हो सकेगा।
  • देखा जाए तो 2014 से ही रूस पर वित्तीय रोक लगी है। इस दौरान भारत और रूस अपने व्यापार के कुछ हिस्से के लिए अमेरिकी डॉलर को बायपास करने के तरीके खोजने में कामयाब रहे हैं। भारत-रूस व्यापार का एक हिस्सा भारतीय रुपये में भी होता है न कि अमेरिकी डॉलर में। भारत के पास रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए कुछ विकल्प हैं। दोनों देश व्यापार के लिए अपनी-अपनी करेंसी का उपयोग कर सकते हैं।
  • 2014 में प्रतिबंधों के बाद से रूस ने स्वीफ्ट का अपना विकल्प विकसित कर लिया है। इसे सिस्टम फॉर ट्रांसफर आॅफ फाइनेंशियल मैसेज यानी एसपीएफ कहा जाता है। कुछ भारतीय बैंक वित्तीय लेनदेन करने के लिए इस नेटवर्क पर रजिस्टर करा सकते हैं। साथ ही भारत के पास नई डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करने का विकल्प होगा जिसे भारतीय रिजर्व बैंक ला रही है।

Russia Ukraine War Harmful For India

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