Supreme Court
SIR: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू (SIR) के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) की कथित मौतों और उन पर बढ़ते काम के बोझ को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि कोर्ट सर्दियों की छुट्टियों से पहले SIR मामलों की सुनवाई पूरी करना चाहता है, इसलिए यह मामला आज दोपहर 3 बजे तक ही सुना जाएगा. अन्य सभी मामलों को स्थगित कर दिया गया है.
CJI ने साफ किया कि बिहार के अपनी दलीलें पूरी करने के बाद तमिलनाडु और फिर पश्चिम बंगाल के मामलों की सुनवाई होगी. यह पूरा मामला SIR की संवैधानिक वैधता से जुड़ा है.
ECI ने दलील दी कि मौजूदा सिस्टम के तहत हर बूथ पर ज़्यादा से ज़्यादा 1,200 वोटर हैं, और BLOs को 30 दिनों में 1,200 फॉर्म जमा करने होते हैं, जिसे कमीशन ने ‘अतिरिक्त बोझ नहीं’ बताया है. इस पर CJI ने पूछा ‘क्या रोज़ 10 फॉर्म भरना भी बोझ है?’
सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि असल में BLO को रोज़ 40 फ़ॉर्म भरने होते हैं और कई इलाकों में जानकारी इकट्ठा करने के लिए उन्हें कई मंज़िला इमारतों में जाना पड़ता है. जो बहुत मेहनत वाला काम है। ECI के वकील ने जवाब दिया कि 70 साल की उम्र में भी वे सीढ़ियां चढ़ सकते हैं, और इसे “पॉलिटिकल तर्क” के तौर पर पेश किया जा रहा है.
तमिलनाडु की एक पॉलिटिकल पार्टी की तरफ से दायर एक याचिका में दावा किया गया है कि SIR के दौरान 35-40 BLO की मौत हो गई है, और कई को सेक्शन 32 के नोटिस जारी किए गए हैं, जिसमें टारगेट पूरा न करने पर उनके ख़िलाफ केस करने की धमकी दी गई है. सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि अलग-अलग राज्यों में अनाथ बच्चे और दुखी परिवार है. BLO पर केस करने की धमकी दी जा रही है. ये टीचर और आंगनवाड़ी वर्कर है. क्या उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जा सकता है?
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अकेले उत्तर प्रदेश में 50 FIR दर्ज की गई हैं और कई जगहों पर BLO को 24-48 घंटे की डेडलाइन में अपना काम पूरा करने के लिए नोटिस भेजे जा रहे है.
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि कई BLO सुबह पढ़ाने के बाद सुबह 3 बजे तक डॉक्यूमेंट अपलोड कर रहे हैं, यहां तक कि उन इलाकों में भी जहां नेटवर्क कमजोर है और Wi-Fi नहीं है. एक मामला ऐसा भी सामने आया जहां एक BLO को उसकी शादी के लिए छुट्टी नहीं दी गई और उसने आत्महत्या कर ली.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य सरकारें अतिरिक्त स्टाफ दें और दबाव में आने वालों को बदलें. सुनवाई के आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण अंतरिम निर्देश जारी किए है. CJI ने निर्देश दिया कि राज्य सरकारें काम का समान बंटवारा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ तैनात करें. अगर कोई कर्मचारी स्वास्थ्य, प्रेग्नेंसी, पारिवारिक कारणों या अन्य निजी परिस्थितियों के कारण SIR ड्यूटी नहीं कर पा रहा है, तो उनके अनुरोध पर केस-बाय-केस आधार पर विचार किया जाना चाहिए.
राज्यों को यह नहीं मानना चाहिए कि उन्हें एक तय संख्या में स्टाफ देना ही है. वे जरूरत के हिसाब से संख्या बढ़ा सकते है. ECI ने जवाब दिया कि 91% फ़ॉर्म डिजिटाइज हो गए हैं और प्रोसेस तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.
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