होम / Live In Relationship Law: क्या भारत के बाहर लिव-इन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है? जानें क्या कहता है इन देशों का कानून

Live In Relationship Law: क्या भारत के बाहर लिव-इन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है? जानें क्या कहता है इन देशों का कानून

Shubham Pathak • LAST UPDATED : February 7, 2024, 3:01 am IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

Live In Relationship Law: क्या भारत के बाहर लिव-इन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है? जानें क्या कहता है इन देशों का कानून

Live In Relationship Law:

India News(इंडिया न्यूज),Live In Relationship Law: भारत का एक मात्र राज्य उत्तराखंड ने कल यानी 6 फरवरी, 2024 को समान नागरिक संहिता पेश की है। जिसमें राज्य सरकार ने लागू होने के एक महीने के भीतर लिव-इन में रहने वाले लोगों के सामने अपने संबंध के पंजीकरण का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही नियम में ये प्रस्ताव रखा गया है कि, यदि कपल अपने स्थानीय सरकारी कार्यालयों में खुद को पंजीकृत करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें तीन महीने की जेल और भारी जुर्माना लगाया जाएगा। जिसके बाद अपके मन में ये सवाल खड़े हो रहे होंगे कि, क्या भारत के बाहर भी लिव-इन में रहने वाले कपल को ऐसा रजिस्ट्रेशन करना होता है? तो आज आपको हम बताएंगे कि, दुनिया भर में लिव-इन रिलेशनशिप और उनका कानून क्या कहता है।

अमेरिका

सबसे पहले बात हम संयुक्त राज्य अमेरिका की करते है। तो आपको बता दें कि, सहवास और लिव-इन रिलेशनशिप यहां एक आम बात है। हालाँकि, अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में, सहवास का कोई कानूनी पंजीकरण या परिभाषा नहीं है। हालाँकि, कुछ राज्यों में, उदाहरण के लिए, कैलिफ़ोर्निया में, साथ रहने वाले जोड़ों को घरेलू भागीदार रजिस्ट्री के तहत खुद को “घरेलू भागीदार” के रूप में पंजीकृत करना आवश्यक है।

कनाडा

बात अगर कनाडा की करें तो कनाडा में, लिव-इन रिलेशनशिप आम कानून के तहत वैध है। यदि कोई जोड़ा बिना ब्रेक के 12 महीने तक एक साथ रहता है तो उसे सामान्य कानून रिश्ते के तहत कानूनी पवित्रता प्राप्त करने के लिए मान्यता दी जाती है। इन जोड़ों को कानूनी रूप से विवाहित जोड़ों के समान अधिकार प्राप्त हैं।

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड

ऑस्ट्रेलिया में, पारिवारिक अधिनियम लिव-इन रिलेशनशिप को “वास्तविक संबंध” के रूप में मान्यता देता है जो अलग-अलग या एक ही लिंग के दो लोगों के बीच मौजूद हो सकता है।
न्यूज़ीलैंड में, “वास्तविक रिश्तों” को कानून के तहत एक ऐसे रिश्ते के रूप में मान्यता दी जाती है जहां दो लोग एक साथ रहते हैं जैसे कि वे शादीशुदा हैं या एक नागरिक संघ में हैं, कानूनी रूप से विवाहित या एक नागरिक संघ में नहीं। न्यूज़ीलैंड में, जो लोग कम से कम तीन साल तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे हैं, वे कानून के अंतर्गत आते हैं, जब तक कि उनके साथ कोई बच्चा न हो या किसी एक साथी ने रिश्ते में महत्वपूर्ण योगदान न दिया हो।

यूरोपीय संघ और ब्रिटेन

यूरोपीय संघ के कई देश वास्तविक यूनियनों को मान्यता देते हैं, हालाँकि, इन संबंधों को आमतौर पर दीर्घकालिक पंजीकरण की आवश्यकता होती है। एक साथ रहने वाले दो लोगों को एक साथ रहने की कानूनी घोषणा करनी होगी। यूके में, यौन संबंध में एक साथ रहने वाले युगल को कानून के तहत आम कानून जीवनसाथी के रूप में कवर किया जाता है और यह रिश्ता अलग अधिनियम द्वारा शासित होता है। हालांकि यूके में पंजीकरण करना अनिवार्य नहीं है, नागरिक भागीदारी के रूप में पंजीकरण करने से रिश्ते को कानूनी मान्यता मिलेगी और कानून के तहत सुरक्षा मिलेगी।
यूके में 2004 सिविल पार्टनरशिप एक्ट भी है, जो देश में केवल समलैंगिक जोड़ों के लिए है।

भारत में लिव-इन पंजीकरण अनिवार्य होगा?

वहीं अब भारत की करें तो केवल उत्तराखंड राज्य ने समान नागरिक संहिता पेश की है। इसके तहत लिव-इन रिलेशनशिप के लिए एक धारा प्रस्तावित की गई है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि एक महीने तक साथ रहने वाले जोड़े को अपने रिश्ते को परिभाषित करने के लिए शादी के अलावा किसी कानूनी साझेदारी में खुद को पंजीकृत करना होगा। जानकारी के लिए बता दें कि, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कल राज्य विधानसभा में उत्तराखंड नागरिक संहिता पेश की। यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो इसे अनुमोदन के लिए राज्य के राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। कानून बनने से पहले विधेयक को सहमति के लिए भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा

ये भी पढ़े

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

CM हेल्पलाइन की मदद से फरार हुई दुल्हन, पति ने लगाया धोखाधड़ी का आरोप
CM हेल्पलाइन की मदद से फरार हुई दुल्हन, पति ने लगाया धोखाधड़ी का आरोप
कंगना ने HC के नोटिस का दिया जवाब: चुनाव को रद्द करने वाली याचिका पर हुई सुनवाई ; याचिकाकर्ता ने की ये मांग
कंगना ने HC के नोटिस का दिया जवाब: चुनाव को रद्द करने वाली याचिका पर हुई सुनवाई ; याचिकाकर्ता ने की ये मांग
बुढ़ापे में पिता को चढ़ गई जवानी…38 साल महिला से हुआ इश्क, बेटे ने किया विरोध तो कर दिया ये कांड
बुढ़ापे में पिता को चढ़ गई जवानी…38 साल महिला से हुआ इश्क, बेटे ने किया विरोध तो कर दिया ये कांड
AR Rahman से तलाक के बाद पत्नी को 2,000 करोड़ रुपये में से कितना फीसदी मिलेगा हिस्सा, वकील ने किया चौंकाने वाला खुलासा
AR Rahman से तलाक के बाद पत्नी को 2,000 करोड़ रुपये में से कितना फीसदी मिलेगा हिस्सा, वकील ने किया चौंकाने वाला खुलासा
कट्टरपंथियों का काल बना ये हिंदू योगी, अब बांग्लादेश ने कर दी उसकी ऐसी हालत, लाल हुई भारत की आंखें
कट्टरपंथियों का काल बना ये हिंदू योगी, अब बांग्लादेश ने कर दी उसकी ऐसी हालत, लाल हुई भारत की आंखें
पुलिस भर्ती में केंद्रीय चयन पर्षद पर धांधली का आरोप, जानें क्या है वजह?
पुलिस भर्ती में केंद्रीय चयन पर्षद पर धांधली का आरोप, जानें क्या है वजह?
Sambhal Violence: ‘संभल हिंसा सोची समझी …का हिस्सा’, अफजाल अंसारी बोले- बेगुनाहों के साथ हुई गलत कार्रवाई
Sambhal Violence: ‘संभल हिंसा सोची समझी …का हिस्सा’, अफजाल अंसारी बोले- बेगुनाहों के साथ हुई गलत कार्रवाई
अमेरिका-चीन की गंदी चाल पर भारत को आया गुस्सा, कही ऐसी बात कि याद रखेंगी जो बाइडेन और जिनपिंग की 7 पुश्तें
अमेरिका-चीन की गंदी चाल पर भारत को आया गुस्सा, कही ऐसी बात कि याद रखेंगी जो बाइडेन और जिनपिंग की 7 पुश्तें
Bareilly Bridge Accident: PWD के 4 इंजीनियरों पर मुकदमा, गूगल मैप के क्षेत्रीय प्रबंधक भी आए लपेटे में
Bareilly Bridge Accident: PWD के 4 इंजीनियरों पर मुकदमा, गूगल मैप के क्षेत्रीय प्रबंधक भी आए लपेटे में
कौन है IPS दीपम सेठ, जानें उत्तराखंड के बने नए डीजीपी
कौन है IPS दीपम सेठ, जानें उत्तराखंड के बने नए डीजीपी
‘गोलीबारी नहीं, हत्या है’, संभल हिंसा पर फट पड़े ओवैसी, 3 मुस्लिम युवकों जनाजे उठने पर कही ये बात
‘गोलीबारी नहीं, हत्या है’, संभल हिंसा पर फट पड़े ओवैसी, 3 मुस्लिम युवकों जनाजे उठने पर कही ये बात
ADVERTISEMENT