India News (इंडिया न्यूज), Ukraine Mineral Wealth: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच तनातनी की खबरें पूरी दुनिया में छाई हुई हैं। इस मुद्दे पर पूरी दुनिया बंटी हुई है। कुछ लोग जेलेंस्की की हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं तो कुछ इसे उनकी सबसे बड़ी कूटनीतिक भूल बता रहे हैं। हालांकि इस समय पूरा यूरोप उनके साथ है। ब्रिटेन की अगुआई में यूरोपीय देशों ने उन्हें बड़ी मदद देने का ऐलान किया है। अमेरिका के साथ रिश्तों को लेकर उनका रुख नरम हुआ है।ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि, आखिर यूक्रेनी राष्ट्रपति ने किसके दम पर सुपरपावर अमेरिका से इतनी बड़ी दुश्मनी मोल ले ली।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, यूक्रेन रूसी हमले से बुरी तरह तबाह जरूर हुआ है, लेकिन यह प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर देश है। ऐसे में भगवान ने इस खूबसूरत देश को खनिजों से भरपूर खजाना दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन में दुनिया के सबसे कीमती खनिजों का अपार भंडार है। इनमें ग्रेफाइट, मैग्नीशियम, आयरन, बेरिलियम, लिथियम, यूरेनियम और टाइटेनियम शामिल हैं। ये ऐसे खनिज हैं जो मौजूदा समय में किसी भी देश की किस्मत बदल सकते हैं।
Ukraine Mineral Wealth (यूक्रेन के पास है खनिजों का भंडार)
यूक्रेन के पास दुनिया के ग्रेफाइट भंडार का चार प्रतिशत है। उसके पास मैग्नीशियम का 1.6 प्रतिशत भंडार है। उसके पास आयरन का 1.5 प्रतिशत भंडार है। उसके पास बेरिलियम और लिथियम का भी व्यापक भंडार है। यूक्रेन के पास दुनिया के यूरेनियम का 2 प्रतिशत है। इसी तरह, उसके पास दुनिया के टाइटेनियम का 7 प्रतिशत है। इनमें से लिथियम, यूरेनियम और टाइटेनियम के मामले में यह यूरोप का बादशाह है। यूरोप के किसी भी देश के पास इन तीनों खनिजों की इससे अधिक मात्रा नहीं है।
visualcapitalist.com के अनुसार, इन खनिजों की कुल कीमत करीब 15 ट्रिलियन डॉलर है। इस राशि की व्यापकता को आप इस तरह समझ सकते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था का आकार करीब 3.5 ट्रिलियन डॉलर है। यानी यूक्रेन का यह भंडार भारत की अर्थव्यवस्था से तीन गुना बड़ा है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, रूस और अमेरिका समेत दुनिया के दूसरे देशों की नजर यूक्रेन की संपदा पर है। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान जेलेंस्की से जिस खनिज सौदे की बात की थी, वह इसी से जुड़ा था। हालांकि, यूक्रेन अब अपनी सुरक्षा की गारंटी मिलने के बाद अमेरिका के साथ ऐसा सौदा करने के लिए तैयार हो गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन में कई दुर्लभ पृथ्वी के विशाल भंडार हैं। दुर्लभ पृथ्वी का मतलब है दुर्लभ खनिज भंडार। इन खनिजों का उपयोग लाउडस्पीकर और कंप्यूटर हार्ड डिस्क जैसे हाई-टेक उत्पाद बनाने में किया जाता है। यूक्रेन के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, उसके पास लगभग 15 ट्रिलियन डॉलर के खनिज हैं। इस मामले में, यह यूरोप के सबसे अमीर देशों में से एक है। इसमें यह भी कहा गया है कि यूक्रेन के पास दुनिया के 50 सबसे दुर्लभ खनिजों में से 23 के भंडार हैं।
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सबसे बड़ी बात यह है कि, अमेरिका बिना किसी स्वार्थ के यूक्रेन की मदद नहीं कर रहा है। उसने यूक्रेन में पानी की तरह पैसा बहाया है और इसके पीछे एक बड़ी वजह यूक्रेन की खनिज संपदा है। यूक्रेन की यह खनिज संपदा अमेरिका की सप्लाई चेन को मजबूत कर सकती है। चीन पर उसकी निर्भरता कम हो सकती है। इस समय चीन दुर्लभ पृथ्वी के मामले में सबसे बड़ा वैश्विक खिलाड़ी बनकर उभरा है।
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