Indian Craft Moments: भारत की कला और कारीगरी देश पर ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में दिखती है. इस अनमोल विरासत पर दुनिया की नजर पड़ी और फिर क्या था इंटरनेशनल ब्रांड्स ने भारतीय शिल्प को पहले से कहीं ज़्यादा हाइलाइट किया और सेलिब्रेट किया. जानी-मानी हस्तियों से लेकर बॉलीवुड सेलेब्रिटीज तक सभी ने हर कदम पर ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर हमारी विरासत को बढ़ावा दिया.
2025 में कश्मीरी कढ़ाई का पल आया, जब नीता अंबानी और जाह्नवी कपूर ने पश्मीना और जमेवार साड़ियां पहनी थीं. इस दौरान वे शाही अंदाज में नजर आई थीं. बता दें कि अंबानी परिवार की मुखिया नीता अंबानी भारतीय कारीगरी की एक बड़ी संरक्षक हैं. उन्होंने गिर, सौराष्ट्र में शिव मंदिर के उद्घाटन के लिए तरुण तहिलियानी की कशिदाकारी-कढ़ाई वाली जमेवार साड़ी पहनी.
हार्वर्ड इंडिया कॉन्फ्रेंस में नीता अंबानी ने अपनी शानदार पारसी गारा साड़ी के लिए सुर्खियां बटोरी थीं. ये हाथ की कढ़ाई का एक मास्टरपीस था, जिसे बनाने में लगभग दो साल का समय लगा था. मशहूर फैशन डिजाइनर और कला पुनरुद्धारकर्ता ज़ेनोबिया एस. डावर द्वारा डिजाइन और रिस्टोर की गई ये साड़ी एक लुप्त होती कला का प्रतिनिधित्व करती है जो कभी सिल्क रूट व्यापार के दौरान फली-फूली थी लेकिन अब इतिहास में खोती जा रही है.
नीता अंबानी ने ब्रिटिश म्यूजियम द्वारा आयोजित पहले पिंक बॉल में भी हिस्सा लिया था. इस दौरान उन्होंने स्वदेश ऑनलाइन की मेड-इन-इंडिया प्योर गोल्ड ज़री कांजीवरम साड़ी पहनी थी. इसमें असली चांदी का कट-वर्क पल्लू और मनीष मल्होत्रा द्वारा डिजाइन किया गया ऑफ-द-शोल्डर कॉर्सेट ब्लाउज था, जो लुक को और भी खूबसूरत बना रहा था.
ईशा अंबानी की अलमारी में भारतीय और ग्लोबल फैशन का एक शानदार मिश्रण है, जो दुनिया की समृद्ध विरासत और प्रतिभा को सम्मान देती है. देश के पश्चिमी हिस्से से उभरने वाली कला को हाइलाइट करते हुए उन्होंने इतालवी फैशन डिजाइनर रॉबर्टो कैवल्ली के साथ एक खास कोलैबोरेशन में हिस्सा लिया था. इसमें उन्होंने स्थानीय कारीगरों द्वारा हाथ से बनाया गया एक चमकीला गुलाबी बंधनी गाउन पहना था. इसे फॉस्टो पुग्लिसी द्वारा डिज़ाइन किया गया था, जो कैवल्ली के 2012 में वोग इंडिया के साथ प्रोजेक्ट रेनेसां के लिए किए गए कोलैबोरेशन से प्रेरित था.
जाह्नवी कपूर अपनी फिल्म होमबाउंड के प्रीमियर के लिए मनीष मल्होत्रा की एक पुश्तैनी रॉयल ब्लू पश्मीना साड़ी में नजर आई थीं, जिसमें वे बहुत खूबसूरत लग रही थीं. यह पहनावा उनकी दिवंगत मां, श्रीदेवी को श्रद्धांजलि थी. श्री देवी ने 2017 में विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के वेडिंग रिसेप्शन में वही साड़ी पहनी थी.
इस साल की शुरुआत में, कंगना रनौत ने लद्दाखी गोंचा का गलत नाम बचाने के लिए सोशल मीडिया पर फैशन ब्लॉगर्स को फटकार लगाई थी. बता दें कि ऊन, मखमल या कपास से बने कोट जैसा दिखने वाला गोंचा आमतौर पर चमकीले रंगों का होता है और कमर के चारों ओर बांधने के लिए मोटी कपड़े की बेल्ट या स्केयरक्स का इस्तेमाल किया जाता है. तिब्बती संस्कृति में, पारंपरिक रूप से पुरुष इसे पहनते हैं, जबकि महिलाएं आमतौर पर ‘चूबा’ नामक एक अलग शैली का चोगा पहनती हैं.
सत्रह साल की नितांशी गोयल ने जेड बाय मोनिका एंड करिश्मा के ब्लैक गाउन में कान्स रेड कार्पेट पर डेब्यू किया, जिसमें हेरिटेज और फैशन का मेल देखने को मिला था. इसमें सिग्नेचर कसाव कढ़ाई और नाजुक सोने की मैक्रैम डिटेलिंग का काम किया गया था। बता दें कि कसाव कढ़ाई मेटैलिक थ्रेडवर्क का एक खास रूप है. ये गुजरात और राजस्थान जैसे इलाकों में शुरू हुई थी, यहां कसाव यानी सोने या चांदी के धागे को रेशम, मखमल और ब्रोकेड जैसे शानदार कपड़ों में बुना जाता था.
भारतीय स्वदेशी टेक्सटाइल और बुनाई के लिए सोनम कपूर का प्यार अक्सर उनके स्टाइल पर दिखता है. एक्ट्रेस ने अपने मुंबई वाले घर में आर्किटेक्चरल डाइजेस्ट की ग्लोबल एडिटोरियल डायरेक्टर एमी एस्टली की मेजबानी की थी. इस दिन उन्होंने खास डिनर का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने मणिपुर के घरेलू ब्रांड EAST को सपोर्ट करने का फैसला किया. इस ब्रांड को डिजाइनर ईस्टर्नलाइट जिमक चलाती हैं. उन्होंने अपनी पैट्रन्स कलेक्शन से तांगखुल काशान से प्रेरित AKHA सेट चुना, जो उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने उखरुल से लेकर ग्लोबल मंच तक डिजाइनर का साथ दिया था.
कला प्रेमियों के हैदराबादी परिवार से आने वाली अदिति राव हैदरी ने पिछले साल अपनी शादी के लिए मशहूर डिजाइनर सब्यसाची के एटेलियर से वनपर्थी से प्रेरित पहनावा चुना. इंस्टाग्राम पर उन्होंने एक दिल छू लेने वाली पोस्ट लिखी जिसमें उन्होंने फैशन के इस पीस के प्रति अपने प्यार और जुड़ाव के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि उनके दादा, राजा जे रामेश्वर राव, तेलंगाना के एक प्रतिष्ठित परिधान, वनपर्थी साड़ी के पुनरुद्धार में शामिल थे.
जलवायु संकट हर घंटे बदतर होता जा रहा है, ऐसे में सस्टेनेबल और सर्कुलर फैशन विकल्पों की ओर बदलाव बहुत बड़ा रहा है. ऐसा ही एक विकल्प जो भारत में लोकप्रिय हो रहा है, वह है दूध का फाइबर. इसका अर्थ है खराब दूध से बना कपड़ों का फाइबर. इसका आविष्कार 1930 के दशक में इटली में हुआ था.
इस फाइबर के सिर्फ 3 पाउंड बनाने के लिए 100 पाउंड स्किम्ड दूध लगता है. मिल्क फाइबर एक रीजेनरेटेड प्रोटीन फाइबर है जिसमें सिल्क जैसी चिकनाई, कॉटन जैसी नमी सोखने की क्षमता और लिनन जैसी हवादार क्वालिटी होती है. अब तक इसका इस्तेमाल टी-शर्ट, अंडरवियर, स्पोर्ट्सवियर, स्वेटर और लग्जरी साड़ियां बनाने में किया गया है.
इसके अलावा कुछ समय पहले प्राडा कोल्हापुरी चप्पलों को लेकर काफी विवाद हुआ था. ये इंटरनेट पर सुर्खियों में रहा. महाराष्ट्र के कोल्हापुर की यह आम चप्पल तब दुनिया भर में मशहूर हो गई जब इटैलियन लग्जरी ब्रांड प्राडा ने इसे अपने स्प्रिंग-समर 2026 मेन्स कलेक्शन में इस्तेमाल किया. इससे कोल्हापुरी कल्चर पर बातचीत और चिंता शुरू हो गई. इसके बाद महाराष्ट्र के कारीगरों ने इसका विरोध किया. उन्होंने ज्योग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन (GI) अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया था. इसके बाद इटैलियन लग्जरी फैशन हाउस ने कोल्हापुरी चप्पलों के भारतीय कनेक्शन को पहचाना और स्वीकार करते हुए कहा कि यह डिज़ाइन भारतीय हाथ से बने फुटवियर से “प्रेरित” है.
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