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Amazing Benefits Of Tulsi : औषधीय उपयोग की दृष्टि से तुलसी की पत्तियां ज्यादा गुणकारी मानी जाती हैं। इनको आप सीधे पौधे से लेकर खा सकते हैं। तुलसी के पत्तों की तरह तुलसी के बीज के फायदे भी अनगिनत होते हैं। आप तुलसी के बीज के और पत्तियों का चूर्ण भी प्रयोग कर सकते हैं। इन पत्तियों में कफ वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं।
इसके अलावा तुलसी के पत्ते का फायदे बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण आदि में बहुत फायदेमंद हैं। तुलसी के औषधीय गुणों में राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी को प्रमुख माना गया है। आइये तुलसी के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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तुलसी के बीजों में अधिक मात्रा में फ्लेवोनॉएड, फिनोलिक तत्व मौजूद होते हैं। ये दोनों ही तत्व इम्यून सिस्टम को बूस्ट करते हैं। इसके साथ ही तुलसी के बीजों में एंटीआक्सीडेंट्स होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
अगर किसी के शरीर में सूजन की समस्या रहती है तो ऐसे में तुलसी के बीज का सेवन फायदेमंद होता है। तुलसी के बीजों में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं, जो एडिमा से बचाव करते हैं।
आज के समय में लोगों को अपना काम की वजह से और इस बढ़ते कोरोना काल में तनाव, चिंता जैसी समस्या रहने लगी है। ऐसे में तुलसी के बीजों का सेवन करने से तनाव की समस्या से बचाव हो सकता है। इन बीजों में दिमाग को कूल, काम और सूदिंग करने के गुण होते हैं, जिससे तनाव कम होता है। तुलसी की पत्तियों में कुछ ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जो दिमाग के थकान को दूर करते हैं। इससे डिप्रेशन कम करने में भी मदद मिलती है।
दिमाग के लिए भी तुलसी के फायदे लाजवाब तरीके से काम करते हैं। इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है। इसके लिए रोजाना तुलसी की 4-5 पत्तियों को पानी के साथ निगलकर खाएं।
ज्यादा काम करने या अधिक तनाव में होने पर सिरदर्द होना एक आम बात है। अगर आप भी अक्सर सिर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं तो तुलसी के तेल की एक दो बूंदें नाक में डालें। इस तेल को नाक में डालने से पुराने सिर दर्द और सिर से जुड़े अन्य रोगों में आराम मिलता है। सबसे जरूरी बात यह है कि तुलसी के उपयोग करने का तरीका सही होना चाहिए।
अगर आपके सिर में जुएं पड़ गये हैं और कई दिनों से यह समस्या ठीक नहीं हो रही है तो बालों में तुलसी का तेल लगाएं। तुलसी के पौधे से तुलसी की पत्तियां लेकर उससे तेल बनाकर बालों में लगाने से उनमें मौजूद जूं और लीखें मर जाती हैं। तुलसी के पत्ते के फायदे, तुलसी का तेल बनाने में प्रयोग किया जाता है।
कई लोगों को रात के समय ठीक से दिखाई नहीं पड़ता है, इस समस्या को रतौंधी कहा जाता है। अगर आप रतौंधी से पीड़ित हैं तो तुलसी की पत्तियां आपके लिए काफी फायदेमंद है। इसके लिए दो से तीन बूँद तुलसी-पत्र-स्वरस को दिन में 2-3 बार आंखों में डालें।
अगर आप साइनसाइटिस के मरीज हैं तो तुलसी की पत्तियां या मंजरी को मसलकर सूघें। इन पत्तियों को मसलकर सूंघने से साइनसाइटिस रोग से जल्दी आराम मिलता है।
तुलसी की पत्तियां कान के दर्द और सूजन से आराम दिलाने में भी असरदार है। अगर कान में दर्द है तो तुलसी-पत्र-स्वरस को गर्म करके 2-2 बूँद कान में डालें। इससे कान दर्द से जल्दी आराम मिलता है। इसी तरह अगर कान के पीछे वाले हिस्से में सूजन है तो इससे आराम पाने के लिए तुलसी के पत्ते तथा एरंड की कोंपलों को पीसकर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर गुनगुना करके लेप लगाएं। कान दर्द से राहत दिलाने में भी तुलसी के पत्ते खाने से फायदा मिलता है।
तुलसी की पत्तियां दांत दर्द से आराम दिलाने में भी कारगर हैं। दांत दर्द से आराम पाने के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।
सर्दी-जुकाम होने पर या मौसम में बदलाव होने पर अक्सर गले में खराश या गला बैठ जाने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। तुलसी की पत्तियां गले से जुड़े विकारों को दूर करने में बहुत ही लाभप्रद हैं। गले की समस्याओं से आराम पाने के लिए तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर उससे कुल्ला करें। इसके अलावा तुलसी रस-युक्त जल में हल्दी और सेंधानमक मिलाकर कुल्ला करने से भी मुख, दांत तथा गले के सब विकार दूर होते हैं।
तुलसी की पत्तियों से बने शर्बत को आधी से डेढ़ चम्मच की मात्रा में बच्चों को तथा 2 से चार चम्मच तक बड़ों को सेवन कराने से, खांसी, श्वास, कुक्कुर खांसी और गले की खराश में लाभ होता है। इस शर्बत में गर्म पानी मिलाकर लेने से जुकाम तथा दमा में बहुत लाभ होता है। इस शरबत को बनाने के लिए कास-श्वास-तुलसी-पत्र 50 ग्राम, अदरक 25 ग्राम तथा कालीमिर्च 15 ग्राम को 500 मिली जल में मिलाकर काढ़ा बनाएं, चौथाई शेष रहने पर छानकर तथा 10 ग्राम छोटी इलायची बीजों के महीन चूर्ण मिलाकर 200 ग्राम चीनी डालकर पकाएं, एक तार की चाशनी हो जाने पर छानकर रख लें और इसका सेवन करें।
तुलसी की पत्तियां अस्थमा के मरीजों और सूखी खांसी से पीड़ित लोगों के लिए भी बहुत गुणकारी हैं। इसके लिए तुलसी की मंजरी, सोंठ, प्याज का रस और शहद को मिला लें और इस मिश्रण को चाटकर खाएं, इसके सेवन से सूखी खांसी और दमे में लाभ होता है।
गलत खानपान या प्रदूषित पानी की वजह से अक्सर लोग डायरिया की चपेट में आ जाते हैं। खासतौर पर बच्चों को यह समस्या बहुत होती है। तुलसी की पत्तियां डायरिया, पेट में मरोड़ आदि समस्याओं से आराम दिलाने में कारगर हैं। इसके लिए तुलसी की 10 पत्तियां और 1 ग्राम जीरा दोनों को पीसकर शहद में मिलाकर उसका सेवन करें।
अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है या फिर आप अपच या अजीर्ण की समस्या से पीड़ित रहते हैं तो तुलसी का सेवन करें। इसके लिए तुलसी की 2 ग्राम मंजरी को पीसकर काले नामक के साथ दिन में 3 से 4 बार लें।
मूत्र में जलन होने पर भी तुलसी के बीज का उपयोग करने से आराम मिलता है। तुलसी के बीज और जीरे का चूर्ण 1 ग्राम लेकर उसमें 3 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ लेने से मूत्र में जलन, मूत्रपूय तथा वस्तिशोथ में लाभ होता है।
पीलिया या कामला एक ऐसी बीमारी है जिसका सही समय पर इलाज ना करवाने से यह आगे चलकर गंभीर बीमारी बन जाती है। 1-2 ग्राम तुलसी के पत्तों को पीसकर छाछ के साथ मिलाकर पीने से पीलिया में लाभ होता है। इसके अलावा तुलसी के पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी पीलिया में आराम मिलता है।
पथरी की समस्या होने पर भी तुलसी का सेवन करना फायदेमंद रहता है। इसके लिए तुलसी की 1-2 ग्राम पत्तियों को पीसकर शहद के साथ खाएं। यह पथरी को बाहर निकालने में मददगार होती है। हालांकि पथरी होने पर सिर्फ घरेलू उपायों पर निर्भर ना रहें बल्कि नजदीकी डॉक्टर से अपनी जांच करवायें।
प्रसव के बाद महिलाओं को तेज दर्द होता है और इस दर्द को दूर करने में तुलसी की पत्तियां काफी लाभदायक हैं। तुलसी-पत्र-स्वरस में पुराना गुड़ तथा खाँड़ मिलाकर प्रसव होने के बाद तुरन्त पिलाने से प्रसव के बाद होने वाले दर्द से आराम मिलता है।
तुलसी बीज चूर्ण अथवा मूल चूर्ण में बराबर की मात्रा में गुड़ मिलाकर 1-3 ग्राम की मात्रा में, गाय के दूध के साथ लगातार एक माह या छह सप्ताह तक लेते रहने से नपुंसकता में लाभ होता है।
अगर आप कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं तो जान लें कि तुलसी का सेवन कुष्ठ रोग को कुछ हद तक दूर करने में सहायक है। पतंजलि आयुर्वेद के अनुसार 10-20 मिली तुलसी पत्र-स्वरस को प्रतिदिन सुबह पीने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
तुलसी पत्रस्वरस, नींबू रस, कंसौदी-पत्र-स्वरस, तीनों को बराबर-बराबर लेकर एक तांबे के बर्तन में डालकर चौबीस घंटे के लिए धूप में रख दें। गाढ़ा हो जाने पर इसका लेप करने से ल्यूकोडर्मा में लाभ होता है। इसको चेहरे पर लगाने से, चेहरे के दाग तथा अन्य चर्म विकार साफ होते हैं और चेहरा सुन्दर हो जाता है। इससे पता चलता है कि तुलसी के फायदे चेहरे के लिए कितने हैं।
तुलसी के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। 20 ग्राम तुलसी बीज चूर्ण में 40 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस कर रख लें। सर्दियों में इस मिश्रण की 1 ग्राम मात्रा का कुछ दिन सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वात एवं कफ से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा 5-10 मिली कृष्ण तुलसी-पत्र स्वरस में दोगुनी मात्रा में गाय का गुनगुना घी मिलाकर सेवन करने से भी वात और कफ से जुड़े रोगों से आराम मिलता है।
तुलसी का पौधा मलेरिया प्रतिरोधी है। तुलसी के पौधों को छूकर वायु में कुछ ऐसा प्रभाव उत्पन्न हो जाता है कि मलेरिया के मच्छर वहां से भाग जाते हैं, इसके पास नहीं फटकते हैं। तुलसी-पत्रों का काढ़ा बनाकर सुबह, दोपहर और शाम को पीने से मलेरिया में लाभ होता है।
अगर आप टाइफाइड से पीड़ित हैं तो तुलसी-मूल-क्वाथ को 15 मिली की मात्रा में दिन में दो बार पियें। तुलसी अर्क के फायदे से टाइफाइड का बुखार जल्दी ठीक होता है। यही नहीं बल्कि 20 तुलसी दल और 10 काली मिर्च के दाने दोनों को मिलाकर काढ़ा बना लें और किसी भी तरह का बुखार होने पर सुबह, दोपहर शाम इस काढ़े का सेवन करें। यह काढ़ा सभी प्रकार के बुखार से आराम दिलाने में कारगर है।
दाद और खुजली में तुलसी का अर्क अपने रोपण गुण के कारण लाभदायक होता है े यह दाद में होने वाली खुजली को कम करता है, और साथ ही उसके घाव को जल्दी भरने में मदद करता है। यदि तुलसी के अर्क का सेवन किया जाए तो यह रक्त शोधक होने के कारण अशुद्ध रक्त का शोधन अर्थात रक्त को साफ करता है और त्वचा संबंधित परेशानियों को दूर करने में सहायक होता हैे।
Amazing Benefits Of Tulsi
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