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Benefits Of Pippali : सदियों से प्राकृतिक औषधियों का इस्तेमाल शरीर की विभिन्न परेशानियों के उपचार में किया जाता रहा है। खासकर, आयुर्वेदिक इलाज में इनका विशेष महत्व है। जानकारी के अभाव और आधुनिक दवाइयों पर निर्भरता के कारण भले ही इनके उपयोग में कमी आई हो, लेकिन इनके गुणों को नकारा नहीं जा सकता है।
इसलिए हम एक खास औषधि के बारे में बता रहे हैं, जिसका नाम है पिप्पली। हमारे साथ जानिए शरीर के लिए पिप्पली के फायदे और इसके उपयोग से जुड़ी जरूरी बातें। तो आईए जानते है इसके क्या-क्या फायदे है।
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सिर दर्द में आराम पाने के लिए पिप्पली, काली मिर्च, मुनक्का, मुलेठी और सोंठ चूर्ण को मिला लें। इसके 2 ग्राम चूर्ण को गाय के मक्खन में पकाएं। इसे छानकर एक से दो बूँद नाक में डालने से सिर दर्द ठीक होता है। इसी तरह पिप्पली को पानी में पीसकर लेप करने से भी सिर का दर्द ठीक होता है।
इसके अलावा पिप्पली चूर्ण को नाक के रास्ते लेने से सर्दी के कारण होने वाले सिर दर्द से राहत मिलती है। आप पीपल और वच चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में नियमित रूप से दिन में दो बार दूध या गर्म जल के साथ सेवन करें। इससे अधकपारी ठीक होता है।
खांसी और सांसों से संबंधित बीमारी में पिप्पली का सेवन लाभ पहुंचाता है। इसके लिए पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिला लें। इसे दिन में तीन बार नियमित रूप से लेने से खांसी ठीक होती है।
इसे आपको 10-15 दिन लेना है। पिप्पली पीपलाजड़, सोंठ और बहेड़ा को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम तक, दिन में 3 बार शहद के साथ चटाने से खांसी में लाभ होता है। विशेषकर पुरानी खाँसी व बार-बार होने वाली खाँसी में यह अत्यन्त लाभदायक है।
आंख की बीमारी में पिप्पली का खूब महीन चूर्ण बना लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों का धुंधलापन, रतौंधी व जाला आदि रोगों में लाभ मिलता है। इसी तरह एक भाग पिप्पली और दो भाग हरड़ को मिलकर पानी के साथ खूब महीन पीस लें। इसकी बत्तियां बना लें और इसे पीसकर आंखों में लगाने से आंखों के बहने, आंखों के धुंधलेपन, आंखों में होने वाली खुजली आदि रोगों में लाभ होता है।
आप पिप्पली को गौमूत्र में घिसकर काजल की तरह लगाएं। इससे भी रतौंधी में भी लाभ होता है। आंखों की पुतली की बीमारी के लिए 10-20 मिली पिप्पली काढ़ा बना लें। इसमें शहद मिलाकर गरारा करें। इससे अधिमांस रोग में लाभ होता है।
नींद ना आने की परेशानी में पिप्पली की जड़ के महीन चूर्ण बना लें। चूर्ण की 1-3 ग्राम तक की मात्रा को मिश्री के साथ सुबह और शाम सेवन करें। इससे पाचन संबंधी विकार ठीक होते हैं, और नींद अच्छी आती है। वृद्ध लोग इसका प्रयोग विशेष रूप से कर सकते हैं।
शरीर के किसी भी अंग में चोट लगने या मोच आने के कारण दर्द हो रहा हो तो आधा चम्मच पिप्पली के जड़ के चूर्ण को गर्म दूध या पानी के साथ सेवन करने से तुरंत आराम मिलता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर प्रयोग किया जाये तो चोट, मोच के दर्द में बहुत लाभ होता है।
लौंग, अकरकरा, पीपर, देवदारु, शतावरी, पुनर्नवा, सौंफ, विधारा, पोहकरजड़, सोंठ तथा अश्वगंधा को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से सामान्य कारणों से होने वाला अंगों के दर्द में लाभ होता है। इससे वातज विकार के कारण होने वाला दर्द भी ठीक होता है।
अनेक लोग कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। आप पिप्पली के सेवन से कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। इसके लिए पिप्पली चूर्ण
में मधु मिलाकर सुबह सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल की मात्रा नियमित होती है, तथा हृदय रोगों में भी लाभ मिलता है।
पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसके 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इसे नियमित तौर पर 10-15 दिन लेने से उल्टी में लाभ होता है।
पिप्पली व मुलेठी के चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। चूर्ण के बराबर मात्रा में शक्कर मिलाकर रखें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है। 1-2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में बराबर मात्रा में शक्कर मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से भी हिचकी में लाभ मिलता है।
पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से हिचकी ठीक होती है। आपको नियमित तौर पर 10-15 दिन लेना है।
Benefits Of Pippali
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