Lata didi's melodious journey: "ऐ मेरे वतन के लोगों" जब पंडित नेहरू की आंखों में आए आंसू…
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: Lata didi’s melodious journey: रविवार को स्वर कोकिला लता मंगेशकर (92) का निधन हो गया है। उन्हें आठ जनवरी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में कोरोना और निमोनिया बीमारी के चलते भर्ती करवाया गया था, जहां उन्होंने आज (6 फरवरी) को अंतिम सांस ली। ‘भारत रत्न’ लता मंगेशकर के निधन […]
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Lata didi’s melodious journey: रविवार को स्वर कोकिला लता मंगेशकर (92) का निधन हो गया है। उन्हें आठ जनवरी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में कोरोना और निमोनिया बीमारी के चलते भर्ती करवाया गया था, जहां उन्होंने आज (6 फरवरी) को अंतिम सांस ली। ‘भारत रत्न’ लता मंगेशकर के निधन से पूरा देश दुखी है।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में 50 हजार से अधिक गाने गाए हैं। उन्होंने इतना गाया कि सर्वाधिक गाने रिकॉर्ड करने का कीर्तिमान ‘गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में 1974 से 1991 तक हर साल अपने नाम दर्ज कराती रहीं। आइए जानते हैं लता दीदी से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
Lata didi’s melodious journey
Lata didi’s melodious journey
नौ सितंबर 1938 को मात्र नौ साल की उम्र में लता जी ने अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर के साथ पहला क्लासिकल परफॉर्मेंस सोलापुर में दिया था।
लता दीदी मानती थीं कि पिता जी की वजह से ही वे आज सिंगर बन पाईं, क्योंकि संगीत उन्होंने ही सिखाया। जबकि पिता दीनानाथ मंगेशकर को तो काफी लंबे समय तक मालूम ही नहीं था कि बेटी गाना भी गा सकती है। बेटी लता को अपने पिता के सामने गाने में डर लगता था।
1945 में लता दीदी ने छोटी बहन आशा के साथ मास्टर विनायक की पहली हिंदी फिल्म ‘बड़ी मां’ में छोटा सा रोल किया था। आशा भोसले लता दीदी से मात्रा चार साल छोटी हैं।
26 जनवरी 1963 को जब लता मंगेशकर ने लाल किले से ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू आ गए थे।
लता दीदी की जुबानी… ‘1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद प्रदीप जी ने ‘ए मेरे वतन के लोगों’ गाना लिखा जिसे मैंने पहली बार 1963 के गणतंत्र दिवस पर गाया था। गाना खत्म करने के बाद मैंने स्टेज से उतरकर कॉफी मंगाई। तभी महबूब साहब भागते हुए मेरे पास आए और कहा, ‘लता, कहां हो तुम…पंडित जी तुमसे मिलना चाहते हैं।’ जब पंडित जी ने मुझे देखा तो खड़े हो गए। वहां इंदिरा जी और कई बड़े नेता मौजूद थे। महबूब साहब ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को मेरा परिचय दिया ‘आप हैं लता मंगेशकर’। तब नेहरू जी ने मुझसे कहा, ‘बेटी, तुमने आज मुझे रुला दिया।”
लता मंगेशकर और राज कपूर के रिश्ते काफी पारिवारिक थे। राज कपूर की लगभग हर फिल्म में लता जी ही नायिका की आवाज रहीं। इतने गहरे रिश्ते होने के बाद भी लता जी अपने सिद्धांतों की पक्की रहीं और कई बार राज कपूर से उनकी अनबन भी हुई।
लता और मीना कुमारी बहुत अच्छी सहेलियां थीं। मीना कुमारी अक्सर लता से मिलने के लिए रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंच जाया करती थीं। लता जी भी मानती थीं कि उनकी आवाज सबसे ज्यादा मीना कुमारी और नरगिस पर फिट बैठती है।
एक बार अमेरिका में लता दीदी का कोई कॉन्सर्ट था, तब उनसे मिलने अमिताभ बच्चन गए थे। प्रोग्राम शुरूआत होने में थोड़ा समय था, तब दीदी ने कहा कि आप मेरे अंगने में…ऐसे गाने से शुरूआत कीजिए। फिर मुझे आप मुझे स्टेज पर बुलाइए, मैं स्टेज पर आऊंगी तो मेरा परिचय देना। अमिताभ बच्चन झेंप गए। उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा कभी स्टेज पर किया नहीं है। दीदी ने जवाब में कहा कि कभी न कभी तो करना पड़ेगा, चलो आज कर लो। तब उन्होंने स्टेज पर मेरे अंगने में… गाया। उन्होंने बताया कि उसके बाद वे स्टेज शो करने लग गए।
नरेंद्र मोदी और लता मंगेशकर की भी गहरी बॉन्डिंग रही। लता ने जब अपने पिताजी के स्मरण में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर रुग्णालय बनवाया और जब अस्पताल में एक-दो मंजिल और बढ़ाई गईं तो, उस समय अस्पताल देखने नरेंद्र मोदी पहुंचे थे। वे उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। तब दीदी ने हंसते-हंसते कहा कि मैं सोचती हूं कि आप बहुत जल्द देश के प्रधानमंत्री बन जाएं। यह 2007-08 की बात है। बाद में उनकी बात सच निकली।
लता मंगेशकर और मो. रफी के रिश्ते काफी रोचक रहे। गायकों को गानों की रायल्टी ना मिलने के मामले में लता काफी मुखर रहीं और रफी इसके खिलाफ थे। ये ही मतभेद मनभेद का कारण बने और 1963 से 1967 तक लता रफी ने साथ में कोई गाना नहीं गाया। बाद में रफी साहब ने लता जी को पत्र लिख कर माफी मांगी और फिर दोनों ज्वेल थीफ फिल्म के लिए साथ गाने पर राजी हुए।