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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Omicron Effect on Elections एक ओर देश में कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन के नए मामले बढ़ने लगे हैं तो दूसरी ओर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं, क्योंकि आने वाले दिनों में पांच राज्यों में विधानसभा (विस) चुनाव होने हैं। देश में ओमिक्रॉन के मामले लगभग 360 पर पहुंच चुके हैं। 2022 की शुरूआत में तीसरी लहर आने की संभावना भी जताई जा रही है। ओमिक्रॉन के बढ़ते केसों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते दिनों पीएम मोदी और चुनाव आयोग से एक अपील की। उन्होंने कहा पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है।
बता दें इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव की इस अपील ने सात माह पहले मद्रास हाईकोर्ट के उस बयान की याद दिला दी, जिसमें कोर्ट ने कहा था, कोरोना फैलाने के लिए इलेक्शन कमीशन के अधिकारियों पर मर्डर केस भी दर्ज किया जाए तो कम है।
हाईकोर्ट के इन दोनों बयानों में एक फर्क और एक समानता है। फर्क ये है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का बयान पांच राज्यों के चुनाव से पहले आया है, और मद्रास हाईकोर्ट का चुनाव के बाद आया था। समानता ये है कि दोनों बयान चुनाव की वजह से कोरोना फैलने पर चिंता जताने वाले हैं। (Omicron Effect on Elections)
दो माह बाद मार्च में उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव होने हैं। इससे पहले दिसंबर 2021 में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। 2 दिसंबर को देश में ओमिक्रॉन का पहला मामला सामने आया था। 24 दिसंबर को देशभर में ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़कर 360 हो गए हैं। अब तक कोरोना संक्रमण के कुल मामले 3.42 करोड़ सामने आ चुके हैं। (Omicron Effect on Elections)
कानपुर आईआईटी का कहना है कि डेल्टा की तुलना में वेरिएंट दोगुनी रफ्तार से बढ़ता है। बताया जा रहा है कि तीसरी लहर का पीक जनवरी के अंतिम या फरवरी के शुरूआती सप्ताह में हो आ सकता है। उन्होंने कहा है कि पीक पर कोविड केस 1.5 लाख तक जा सकते हैं। ऐसे में मार्च या अप्रैल में चुनाव होता है तो साफ है कि देश में कोरोना की सुनामी आ सकती है।
पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में विस चुनाव हुए। यह अब तक का सबसे अधिक लंबे समय तक चलने वाला असेंबली इलेक्शन था। विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण तक बंगाल में कोरोना के कुल मामले में 900फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2 अप्रैल 2021 को बंगाल में कोरोना के 1723 नए मामले सामने आए थे और एक भी मौत नहीं हुई। चुनाव के बाद 2 मई 2021 को नए मामलों की संख्या बढ़कर 17,515 हो गई और एक दिन में 100 लोगों की मौत हुई। (Omicron Effect on Elections)
सभी चुनावी राज्यों पर नजर डालें तो असम, बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में 15 अप्रैल को कुल कोरोना केस 26594 थे, महीने भर बाद 15 मई को 92794 हो गए। इसी तरह इतने दिन में मौतों की संख्या 112 से बढ़कर 626 हो गई। यही नहीं 15 मई को देश भर के कुल नए मामले का 29 प्रतिशत सिर्फ इन 5 राज्यों में सामने आए थे।
आने वाले पांच राज्यों के चुनावों में कोरोना कितना कहर बरपाएगा, इसका ठीक-ठीक अंदाजा तो किसी को भी नहीं है। लेकिन पुराने अनुभव और अनुमान इसकी भयावहता की तरफ इशारा कर रहे हैं।
वर्ल्ड हेल्थ आॅर्गनाइजेशन के विशषज्ञों ने ओमिक्रॉन को हल्के लक्षण वाला यानी कि ‘सुपर माइल्ड’ वेरिएंट कहा है। माइल्ड होने की वजह से यह चुपके से धीरे-धीरे संक्रमण फैलाता है। यही नहीं ओमिक्रॉन एंडीबॉडी बनने के बाद भी लोगों को संक्रमित कर सकता है। (Omicron Effect on Elections)
एक्सपर्ट का मानना है कि सरकार को ओमिक्रॉन को रोकने के लिए सबसे पहले वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ानी चाहिए। वैक्सीनेशन ही देश को तीसरी लहर से बचा सकता है। ऐसे में चुनावी राज्यों में वैक्सीन की स्थिति को जानते हैं।
स्वास्थ मंत्रालय के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में अब तक 12.41 करोड़ लोगों को सिंगल डोज वैक्सीन लगी है, जबकि 6.73 करोड़ लोगों को डबल डोज वैक्सीन लगी है। यूपी की कुल जनसंख्या 20.42 करोड़ है। ऐसे में यहां करीब 8 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनको सिंगल डोज वैक्सीन भी नहीं लगी है।
वहीं उत्तराखंड में 77.30 लाख लोगों को सिंगल डोज और 60.64 लाख लोगों को डबल डोज लगी है। राज्य की कुल जनसंख्या एक करोड़ है, मतलब 23 लाख लोगों को यहां एक भी डोज वैक्सीन की नहीं लगी है। अब तक मणिपुर में 14 लाख लोगों को वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगी है। इसी तरह चुनावी राज्य पंजाब में 31 लाख और गोवा में करीब 6 लाख लोगों को अब तक वैक्सीन की सिंगल डोज भी नहीं दी गई है।
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