इंडिया न्यूज़, हाथरस।
अगर आपमें लगन है तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। ये साबित किया सासनी की सुनीता (Sunita) ने जिन्होंने बीएससी तक पढ़ाई की है लेकिन घर चलाने के लिए उन्हें जब नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने ई रिक्शा चलाना शुरू कर दिया।
गांव की महिलाएं भी हाैंसले की उड़ान भर रही हैं। ऐसे ही मिसाल सासनी की सुनीता (Sunita) ने पेश की है। पुरुष प्रधान समाज की धारणा को पीछे छाेड़ वह खुद ई-रिक्शा चलाती हैं। वह मेहनत से हजारों रुपये प्रति माह कमा रही हैं।
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सुनीता (Sunita) की शादी वर्ष 2014 में सासनी के गांव गदाखेड़ा निवासी राजेश कुमार के साथ हुई। सुनीता खुद बीएससी पास हैं। पति ने भी बीएससी, बीएड कर चुके हैं। मगर शिक्षित होने के बाद भी तमाम कोशिश के बाद दोनों को नौकरी नहीं मिली। Sunita के कई जगह आवेदन किए लेकिन मायूसी हाथ लगी। जब कहीं भी नौकरी की जुगाड़ नहीं हुई तो पति राजेश ने कामन सर्विस सेंटर खोल लिया, लेकिन परिवार के खर्च के आगे उसकी कमाई काफी न थी। ऐसे में सुनीता (Sunita) ने पति को हिम्मत बंधाई और कदम से कदम मिलाकर उनके साथ चलीं।
सुनीता(Sunita) ने पहले स्वयं सहायता समूह बनाया। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 80 हजार रुपये से ई-रिक्शा खरीदा। सुनीता (Sunita) ने पहले तो ई-रिक्शा पति से चलवाया और साथ में खुद भी चलाना सीख लिया। अब स्थिति यह है कि ई-रिक्शा किसी भी समय खाली नहीं रहती। अब सुनीता (Sunita) ई-रिक्शा खुद चलाए या समूह की दीदी से चलवाएं, मगर रोजाना एक हजार से अधिक की वह कमा लेती हैं। सुनीता (Sunita) कहतीं है कि चोरी करने में बुराई है, काम करने में कोई बुराई नहीं। महंगाई के दौर में आत्मनिर्भरता की नींव पर वह परिवार को चला रही हैं।
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