इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
केवल हमारा दिमाग ही नहीं है जिसे भूलने की आदत हो, बट्स (कूल्हे) भी भूलने की बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। दरअसल, यह एक मेडिकल कंडीशन है, जिसे डेड बट सिंड्रोम या ग्लूटेल एम्नेसिया कहा जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह मूल रूप से आपके ग्लूट्स (कूल्हे) से जुड़ा है, जो अपने मुख्य कार्य को भूल रहे हैं। ग्लूटल एम्नेसिया का मूल कारण निश्चित रूप से लंबे समय तक बैठे रहना और एक गतिहीन लाइफस्टाइल को बनाए रखना है, जिसका नतीजा होता है कि ग्लूटल मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप लंबे समय तक काम कर रहे हैं, बिना ब्रेक लिए कंप्यूटर के सामने बैठे हैं, या लंबे समय तक गाड़ी चला रहे हैं, तो आपको डेड बट सिंड्रोम होने का खतरा हो सकता है।
dead butt syndrome exercises
इस प्रॉब्लम के दौरान व्यक्ति के ग्लूटस मेडियस (कूल्हे की हड्डी) में सूजन आ जाती है और सामान्य रूप से काम करना मुश्किल हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब हम लंबे समय तक एक ही तरह से बैठते हैं तो ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है। इससे न सिर्फ कूल्हों के सुन्न पड़ने और उनमें दर्द होने की समस्या होती है। बल्कि इसके कुछ और साइड इफैक्ट्स भी देखने को मिल जाते हैं, जैसे ये कैंसर, हार्ट डिजीज, और डायबिटीज का भी कारण बन सकता है। यदि आपके हिप फ्लेक्सर्स पर्याप्त रूप से स्ट्रेच नहीं हो पाते हैं, तो यह डेड बट सिंड्रोम को भी जन्म दे सकता है। गलत तरीके से दौड़ने वाले लोग भी इस सिंड्रोम से ग्रस्त हो सकते हैं। इसके अलावा, जो लोग मोटापे से ग्रस्त हैं या उनमें विटामिन डी, या विटामिन बी 12 की कमी है, शराब पीते हैं, वे भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
डेड बट सिंड्रोम के प्राथमिक लक्षण पैल्विक और पीठ के निचले हिस्से में दर्द है। इस कंडीशन को मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका है, बैठने से नियमित ब्रेक लेना और हल्का स्ट्रेच करना या थोड़ा चलना। गुड न्यूट्रिशन भी इसे रोकने में मदद करता है।