Hindi News / Madhya Pradesh / It Was Difficult To File A Petition On Promotion After 7 Years Hc Rejected The Petition Said This Big Thing

पदोन्नति पर 7 साल बाद याचिका दायर करना पड़ा भारी, HC ने खारिज की याचिका, कही ये बड़ी बात

India News (इंडिया न्यूज), MP HC News: मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड में पदोन्नति को लेकर सात साल बाद याचिका दायर करने वाले जितेंद्र कुमार पांडे को झटका लगा है। हाईकोर्ट की जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इतने लंबे समय बाद चुनौती देने से […]

BY: Harsh Srivastava • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), MP HC News: मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड में पदोन्नति को लेकर सात साल बाद याचिका दायर करने वाले जितेंद्र कुमार पांडे को झटका लगा है। हाईकोर्ट की जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इतने लंबे समय बाद चुनौती देने से समानता का सिद्धांत प्रभावित होता है।

2014 और 2015 की पदोन्नति को 2021 में चुनौती

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जितेंद्र कुमार पांडे ने अपनी याचिका में कहा था कि वह 1984 में उप अभियंता के पद पर नियुक्त हुए थे। उन्हें बाद में परियोजना अधीक्षण के पद पर पदोन्नत किया गया था। लेकिन 2014 में डीपीसी में जेपी पस्तोरे और 2015 में किशन विधानी को अधीक्षण यंत्री पद पर चयनित किया गया। पांडे ने आरोप लगाया कि उन्हें डीपीसी में जानबूझकर 12 अंक दिए गए, जबकि चयनित अधिकारियों को 15 और 17 अंक दिए गए थे।

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सूचना के अधिकार से मिली जानकारी

पांडे ने आरोप लगाया कि उन्हें विभाग द्वारा पांच साल की एसीआर की जानकारी नहीं दी गई थी। बाद में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मिली कि उन्हें ‘डी’ ग्रेड दिया गया था, जबकि रिमार्क में ‘बहुत अच्छा’ लिखा गया था। याचिकाकर्ता का दावा था कि एसीआर में पारदर्शिता न होने के कारण डीपीसी की प्रक्रिया दोषपूर्ण थी।

विभागीय अपील के बाद हाईकोर्ट में याचिका

उन्होंने 2020 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने याचिका को निराकरण के लिए विभागीय अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। विभाग ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की बात कही थी, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इसके बाद पांडे ने पुनः याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने माना कि 2021 में 2014-15 की पदोन्नति को चुनौती देना अत्यधिक देरी और लापरवाही का मामला है। याचिका पर विचार करने से तय स्थिति अस्थिर हो सकती है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर अनावेदक अधिकारियों की पैरवी कर रहे अधिवक्ता पंकज दुबे के तर्कों को सही ठहराया।

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