India News MP (इंडिया न्यूज़), Neemuch News Today: मध्य प्रदेश के नीमच में भगवान श्री राम मंदिर की मंदिर से हैरान करने वाला मामला सामने आया है । जहां बेशकीमती जमीन पर रास्ता बनाने के मामले में तहसीलदार
ने कमाल कर दिया । उसने एक ही दिन में दो आदेश जारी कर दिए । जिसके बाद तहसीलदार का ये आदेश चर्चा में आ गया ।
पहला आदेश रास्ता बनाने वाले के विरुद्ध में था । जिसके ऊपर 5000 रुपये दंड लगाने का आदेश दिया, वही दूसरा आदेश में रास्ता बनाने के निर्णय को सही बताया । इस मामले में लोकायुक्त पुलिस ने पद के दुरुपयोग करने का मामला दर्ज कराया है ।
Neemuch News Today
उज्जैन लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक अनिल विश्वकर्मा ने बताया कि शिकायत सुमित अहीर नाम के व्यक्ति से मिली थी। बताया गया कि डाॅ. महू नीमच रोड पर भगवान श्री राम अवतार मंदिर की बेशकीमती जमीन पर रमेश ढाक ने कब्जा कर लिया है। पुलिस आयुक्त अनिल विश्वकर्मा के मुताबिक, रमेश ढाका की जमीन मंदिर परिसर से सटी हुई है। उन्होंने मंदिर परिसर में सड़क बनवाकर अपनी जमीन की कीमत बढ़ाने की कोशिश की। इस मामले में मामले की जांच पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार तालान को सौंपी गई और पुलिस अधीक्षक ने जांच के दौरान पाया कि शिकायत सही है। इसके बाद तहसीलदार मनोहर मोहन वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और रमेश ढाक को आरोपी बनाया गया। दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1981 (2018 संशोधन) की धारा 120बी और भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस मामले की जांच के दौरान एक दिलचस्प तथ्य सामने आया। शिकायत मिलने के बाद 27 मार्च 2023 को तहसीलदार मनोहर वर्मा ने अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया और श्री राम अवतार मंदिर पर अतिक्रमण करने पर रमेश ढाका पर मध्य प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
इस क्रम में तहसीलदार ने अवरुद्ध मार्ग को खोलने का निर्देश दिया, लेकिन उसी दिन मामले की समीक्षा के बाद अंतिम कंडिका बदल दी गयी। उन्होंने लिखा कि जगह के निरीक्षण, पटवारी की रिपोर्ट और पंचनामे से पता चला कि कोई अतिक्रमण नहीं हुआ है। यह सड़क ग्रामीणों द्वारा सभी की सुविधा के लिए बनाई गई थी और कृषि के लिए बनाई गई थी।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि रमेश ढाक ने श्री राम अवतार मंदिर की 8.66 हेक्टेयर जमीन में से एक बीघे पर कब्जा कर अपनी जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए सड़क का निर्माण किया था। इस जमीन के संरक्षक स्वयं कलेक्टर नीमच हैं, हालांकि यह अवैध कब्जा रमेश ढाका की जमीन की कीमत बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।
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