Bihar Chunav 2025
Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी हलचल तेज है. विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रही है. वैसे ही सियासी मैदान में नए खिलाड़ी उतर रहे है. इस बार राज्य की सियासत में 5 नए दलों की एंट्री ने पुराने समीकरणों को बदलने के संकेत दे दिया है. जहां एक तरफ एनडीए और महागठबंधन अपनी सीट शेयरिंग की रणनीति में जुटे हैं. वहीं इन नए दलों ने जनता के बीच अलग पहचान बनाने की ठानी है.
Jan Suraaj Party: सबसे ज्यादा चर्चा में है जन सुराज पार्टी जिसे प्रशांत किशोर ने खड़ा किया है. यह पार्टी खुद को परिवर्तन की आवाज बता रही है और ‘बिहार को बेहतर बनाने’ के नारे के साथ जनता तक पहुंच रही है. प्रशांत किशोर पिछले दो सालों से पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच काम कर रहा हैं और अब चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है.
Janshakti Janta Dal: दूसरा नया चेहरा है जनशक्ति जनता दल. जिसे तेज प्रताप यादव ने लॉन्च किया है. आरजेडी से अलग राह पकड़ते हुए तेज प्रताप ने युवाओं और किसानों को जोड़ने की रणनीति अपनाई है. उन्होंने कहा कि बिहार को नई सोच की राजनीति की जरूरत है.
इसके अलावा तेज प्रताप यादव ने पांच छोटे दलों के साथ मिलकर नया गठबंधन भी बनाया है. इनमें विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP), भोजपुरिया जन मोर्चा (BJM), प्रगतिशील जनता पार्टी (PJP), वाजिब अधिकार पार्टी (WAP) और संयुक्त किसान विकास पार्टी (SKVP) शामिल हैं. ये सभी दल सामाजिक न्याय, किसान अधिकार और स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं.
AAP: बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मिया तेज़ हो रही है. दिल्ली और पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने 11 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. पार्टी की यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधन (एनडीए और ऑल इंडिया अलायंस) अभी भी सीट के बंटवारे को लेकर उलझे हुए है. आप ने घोषणा की है कि वह मुख्य रूप से अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल के आधार पर सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी.
AIMIM: ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने उन 32 सीटों का ऐलान किया है जिनपर पार्टी अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है. इतना ही नहीं पार्टी ने विधानसभा की 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर सियासी गलियारों में एक नई हलचल पैदा कर दी है. इसे एक तरह से तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट माना जा रहा है.
इन नए दलों की एंट्री से इस बार का चुनाव दिलचस्प होगा. भले ही इनका प्रभाव सीमित इलाकों में दिखे लेकिन ये पारंपरिक दलों के वोट बैंक में सेंध लगाने की क्षमता रखते है. बिहार की जनता इस बार देखेगी कि क्या नए दल वाकई बदलाव ला पाएंगे या फिर सत्ता का खेल एक बार फिर पुराने खिलाड़ियों के हाथ में ही रहेगा.
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