Panipat Child Murder Case
सुरेंद्र ने बताया कि हाल की घटना के बाद, जब उन्होंने ध्यान से पिछली घटनाओं की जांच की और घटनाओं को जोड़ा, तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई. तीनों घटनाएं एकादशी के दिन हुईं, और इस्तेमाल किया गया तरीका एक जैसा था। यह कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता. सुरेंद्र का कहना है कि उन्हें पक्का शक है कि पूनम यह सब किसी तांत्रिक रस्म के तहत कर रही थी। तीनों बच्चों की मौत एक जैसे तरीके से हुई, और नॉर्मल मेंटल हेल्थ इन मौतों का कारण नहीं हो सकती.
परिवार के मुताबिक, पूनम पहले मर्डर के बाद करीब डेढ़ साल तक चुप रही क्योंकि वह खुद प्रेग्नेंट हो गई थी. इसलिए, वह आगे कोई क्राइम नहीं कर पाई. परिवार का कहना है कि अगर वह उस समय प्रेग्नेंट नहीं होती, तो पता नहीं कितने और बच्चे उसकी क्रूरता का शिकार होते. इस डर ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया है.
पूनम के चचेरे भाई सुरेंद्र ने खुले तौर पर मांग की है कि आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए. उन्होंने कहा कि यह मामला कोई छोटा-मोटा जुर्म नहीं, बल्कि बच्चों की सीरियल किलिंग है. सुरेंद्र ने कहा कि पूनम को उम्रकैद तो दूर, दस या बीस साल की सजा भी नहीं मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि अगर पूनम को उम्रकैद की सजा देकर पैरोल पर रिहा भी कर दिया जाता है, तो भी यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि वह और कितने बच्चों को मार सकती है. इसलिए, ऐसे मामले में इंसाफ तभी होगा जब उसे मौत की सजा दी जाए.
परिवार का यह भी कहना है कि अगर शुरू में ही पुलिस केस किया गया होता, तो इसे रोका जा सकता था. लेकिन, परिवार के अंदर के डर और समाज की चिंताओं ने जुर्म को और हवा दी. आज परिवार का कहना है कि लोगों की राय की परवाह किए बिना गलत काम शुरू में ही रोक देना चाहिए. क्योंकि एक गलती और एक चुप्पी कभी-कभी जानलेवा साबित हो सकती है. यह मामला अब पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गया है. लोगों को डर है कि इन बच्चों की मौत का संबंध तांत्रिक अनुष्ठानों से हो सकता है. इस घटना के बाद, गांव वाले अपने बच्चों को लेकर ज़्यादा सावधान हो गए हैं. घटनाओं के तरीके, एकादशी के दिन और आरोपियों के व्यवहार से कई लोगों को लगता है कि इस घटना की जड़ कुछ और ही है.
पुलिस मामले की जांच कर रही है, और अधिकारी सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं. यह जांच की जा रही है कि क्या ये घटनाएं वाकई किसी तांत्रिक अनुष्ठान से जुड़ी हैं या यह कोई मेंटल डिसऑर्डर का मामला है. हालांकि, परिवार का दावा है कि पूनम साफ दिमाग से काम कर रही थी और हर बार एकादशी को चुनना एक बड़े प्लान का हिस्सा था.
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