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CPEC की वजह से रिश्तों में आ रही दरार, पाकिस्तान से नाराज है दोस्त चीन

BY: Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : November 12, 2022, 9:13 pm IST
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CPEC की वजह से रिश्तों में आ रही दरार, पाकिस्तान से नाराज है दोस्त चीन

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : आपको बता दें, इन दिनों पाकिस्तान से नाराज चल रहा है। ज्ञात हो, चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडो की पहुंच अफगानिस्तान तक चाहता है, लेकिन उसकी इस योजना में पाकिस्तान ही सबसे बड़ा रोड़ा है। जानकारी के मुताबिक जियो-पॉलिटिक की रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि वे सीपीईसी में आ रही सभी बाधाओं को दूर करेंगे और उसके काम को अंजाम तक पहुंचाएंगे। पाक पीएम द्वारा किया गया वादा इसलिए पूरा नहीं हो पा रहा क्योंकि पाकिस्तान के पास इसके लिए फंड नहीं है। फंड नहीं होने की वजह से यह परियोजना लंबे समय से पूरी नहीं हो पा रही है। पाकिस्तान की इस अव्यवस्था की वजह से चीन अफगानिस्तान में अपनी खरबों रुपये की परियोजना आगे नहीं बढ़ा पा रहा है।

चीन की इस परेशानी के बीच पाकिस्तान नया पैंतरा अपना रहा है। पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर प्रचार किया जा रहा है कि बीजिंग की इस परियोजना से जनता का जीवन रातों-रात बदल जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिण-एशिया की अर्थव्यवस्था वैसे ही संकट में है, ऊपर से पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर जानलेवा हमले भी हो सकते हैं। इन सब कारणों की वजह से चीन का पाकिस्तान में निवेश पूरी तरह विफल हो सकता है।

अफगानिस्तान के खनिज पर है चीन की नजर

बताया जा रहा है कि चीन अफगानिस्तान में बेशुमार खनिजों को तलाशना चाहता है। ये खनिज वहां अभी भी छिपे हुए हैं। इसी वजह से वह अपने प्रोजेक्ट को पाकिस्तान से आगे बढ़ाते हुए अफगानिस्तान तक ले जाना चाहता है, लेकिन इससे पहले उसे पाकिस्तान में व्यवस्थाओं को ठीक करना होगा और वहां सुरक्षित माहौल तैयार करना होगा। ऐसा न होने पर उसे तालिबान से खतरा हो सकता है। आपको बता दें, अफगानिस्तान पर तालिबान सरकार का कब्जा होने के बाद वहां का बुनियादा ढांचा कमजोर हो गया है।

तालिबान पर चीन को भरोसा नहीं

दूसरी तरफ मीडिया रिपोर्ट्स यह भी कह रही हैं कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को चीन से उम्मीद थी कि वह यहां ज्यादा निवेश करेगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। वर्तमान परिस्थितियों में चीन अफगानिस्तान में निवेश नहीं करना चाहता और इसके भविष्य पर भी संदेह है। बताया जा रहा है कि चीन के कहने पर तालिबान तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी से अपने संबंध तोड़ने पर राजी हो गया था, लेकिन चीन को इस बात पर ज्यादा यकीन नहीं है।

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